दीपावली के दिन रावण के पुतले का दहन कर मनाया गया दशहरा
-पूरी रात हुई आतिशबाजी
हमीरपुर (हि.स.)। जिले की एक बड़ी तहसील क्षेत्र में दीपावली त्योहार पर रावण का पुतला फूंककर दशहरा मनाया गया। रावण के पुतले का दहन होते ही पूरे क्षेत्र में जमकर आतिशबाजी भी हुई। साथ ही घर-घर लोगों ने दीये जलाएं।
विराटनगरी कहे जाने वाले राठ कस्बे में दीपावली त्योहार पर रावण के पुतले का दहन करने की परम्परा एक सौ तीस साल पुरानी है, जिसे देखने के लिए अबकी बार भारी भीड़ एकत्र हुई। रामलीला कमेटी के आजीवन सदस्य हरिमोहन चंदसौरिया ने बताया कि भारत के किसी भी हिस्से में दीपावली के दिन रावण का पुतला फूंककर दशहरा मनाए जाने की परम्परा कायम नहीं हैं, लेकिन यहां जिले का यहीं इलाका है जहां सैकड़ों सालों से यह अनोखी परम्परा कायम है।
बताया कि कोरोना संक्रमण काल में दीपावली के दिन रावण के पुतले के दहन करने की परम्परा टूटी थी लेकिन इस बार इस अनोखी परम्परा को बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ाया गया है। बताया कि दीपावली त्योहार की शाम पहले राम और रावण के बीच लीला का मंचन हुआ फिर रावण वध की लीला के बाद विशालकाय रावण के पुतले का दहन किया गया। पुतला दहन होते ही हजारों लोगों ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए। इसके बाद एक दूसरे से लोगों ने गले मिलकर बधाई दी। इस दौरान अनोखी परम्परा में मेले का भी आयोजन हुआ, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी।
एक ही दिन ऐसे पड़ी दशहरा, दीपावली मनाने की परम्परा
रामलीला कमेटी के सदस्य एवं शिक्षक हरिमोहन चंदसौरिया ने बताया कि सैकड़ों साल पूर्व राठ नगर में रामलीला महोत्सव की शुरुआत हुई थी। तब उस समय रामलीला मैदान में मूसलाधार बारिश का पानी भर गया था। बरसात का पानी सूखने में ही दशहरे का त्योहार निकल गया था। रावण के पुतले के दहन के लिए नगर में आसपास कोई स्थान भी न होने के कारण दशहरे और दीपावली एक ही दिन मनाए जाने की परम्परा पड़ी थी जो अभी भी कायम है। बताया कि राठ नगर में दशहरे के रावण के पुतले का दहन नहीं होता है। बताया कि यहां हिन्दू और मुस्लिम लोग इस अनोखी परम्परा का हर साल हिस्सा बनते हैं।
पंकज/दीपक