तैयबा से हवा आई है महबूब के आंगन में
गोंडा। बसंत पचंमी के अवसर पर बुधवार रात शहर के दरबारे आलिया मीनाइया में हज़रत अमीर खुसरू की याद मे आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का आयोजन हज़रत शाह जमाल मीना साहब की सरपरस्ती,डा0 लायक अली की अध्यक्षता, जावेद रज़ा सिद्दीकी के संयोजन व कफील अम्बर के संचालन में हुआ।
तिलावते कलामे पाक के बाद मुशायरे के अध्यक्ष हाजी डा0 लायक अली साहब ने अपने खुतबऐ सदारत मे हज़रत अमीर खुसरो की शायरी आला हज़रत के इश्क़ रसूल के तराने और ख़ानकाहे आलिया मीनाईया के फैजान पर रोशनी डाली।
अकेले में मदीने का ख्याल आया तो क्या होगा।
मोहब्बत के समंदर में उबाल आया तो क्या होगा।
किसी ने जिक्र किया है महबूब ए इलाही का।
सरे महफिल खुसरू को हाल आया तो क्या होगा।।
पढ़ कर संचालक ने मुशायरा के संचालन की शूरूआत की
कर्नाटक के मशहूर शायर सय्यद फाजिल अशरफी ने पढ़ा – बरेली के शायर अज़हर फारूकी ने पढ़ा-
जमाने से दर्द सुबह ओ शाम मिलता है। दुरुदे पाक पढ़ लीजिए बहुत आराम मिलता है। नबी की नात क्या है हज़रत ए हस्सान से पूछो। नबी के हाथ से जब नात का इनाम मिलता है।।
मो अली फैज़ी ने पढ़ा-
सब से औला वा आला हमारा नबी।
सब से वाला वा आला हमारा नबी।
अपने मौला का प्यारा हमारा नबी।
दोनों आलम का दुल्हा हमारा नबी।।
तुफैल शम्सी ने पढ़ा –
ए खिरज अब होश से रहने दे बेगाना मुझे। है ख्याले यार में मंजूर मर जाना मुझे।।
अंबर मुशाहिदी ने पढ़ा: मुर्शीद ने कहां तुझमें मुझे चाहिए खुसरु।
महबूब ने फिर बनके दिखाया है नही क्या।।
इसके अलावा मनाजिर बदायुनी, आज़म मीनाई, शकील मीनाई आदि ने अपना अपना कलाम पेश किया।
इस मौके पर मुख्यतः डॉ लायक अली, मौलाना वहीद गोंडवी,वली मो0, कारी निसार अहमद मीनाई, मौलाना मुजक्किर, एहसान मीनाई, रफीक आलम मीनाई, हाफिज सगीर मीनाई, इशरत अजीज, तबरेज आलम समेत हजारों अकीदतमंद उपस्थित रहे।