तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 198 इंडोनेशियाई बरी
नई दिल्ली। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने गुरुवार को तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले इंडोनेशिया के 198 नागरिकों को बरी कर दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वसुंधरा आजाद ने 100 इंडोनेशियाई नागरिकों को सात-सात हजार रुपये के मुचलके पर, जबकि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्वाति शर्मा ने 98 इंडोनेशियाई नागरिकों को पांच-पांच हजार रुपये के मुचलके पर बरी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने पिछली 21 जुलाई को किर्गिस्तान और इंडोनेशिया के 121 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया था। पांच-पांच हजार रुपये के जुर्माने पर बरी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कुछ विदेशी नागरिकों को दिन भर कोर्ट रूम में खड़े रहने की सजा दी थी। 17 जुलाई को थाईलैंड के 34 नागरिकों को बरी कर दिया था। 16 जुलाई को 92 इंडोनेशियाई नागरिकों को जमानत दी थी। 16 जुलाई को ही साकेत कोर्ट ने 275 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को बरी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इन 275 विदेशी नागरिकों को सजा के तौर पर आज दिन भर कोर्ट रूम में खड़ा रहने का आदेश दिया था। इसके अलावा साकेत कोर्ट ने इन विदेशी नागरिकों पर 5 से 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
कोर्ट ने पिछली 15 जुलाई को श्रीलंका के 17 नागरिकों को बरी कर दिया था। 15 जुलाई को ही कोर्ट ने 200 इंडोनिशाई नागरिकों को जमानत दी थी। पिछली 14 जुलाई को भी साकेत कोर्ट ने इंडोनेशिया के 150 नागरिकों को जमानत दी थी। पिछली 11 जुलाई को कोर्ट ने थाईलैंड और नेपाल के 75 नागरिकों को जमानत दी थी। पिछली 10 जुलाई को कोर्ट ने 62 मलेशियाई नागरिकों और सऊदी अरब के 11 नागरिकों को बरी किया था।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ मलिक ने इन 73 विदेशी नागरिकों को सात से दस हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए बरी करने का आदेश दिया था। इन विदेशी नागरिकों ने समझौते के लिए याचिका दायर की थी जिसके बाद कोर्ट ने ये आदेश दिया। सुनवाई के दौरान इन विदेशी नागरिकों के खिलाफ शिकायत करनेवाले लाजपत नगर के एसडीएम और लाजपत नगर के एसीपी और निजामुद्दीन के इंस्पेक्टर ने कहा कि उन्हें इन विदेशी नागरिकों को बरी करने पर कोई आपत्ति नहीं है। साकेत कोर्ट ने 10 जुलाई को बांग्लादेश के 82 नागरिकों को जमानत दी थी।
कोर्ट ने पिछली 9 जुलाई को 8 देशों के 76 विदेशी नागरिकों को जमानत दे दी थी। साकेत कोर्ट ने जिन 8 देशों के 76 विदेशी नागरिकों को जमानत देने का आदेश दिया था, उनमें माली, नाइजीरिया, श्रीलंका, केन्या, दिजिबाउटी, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका और म्यांमार शामिल हैं। 9 जुलाई को ही साकेत कोर्ट ने ही 60 मलेशियाई नागरिकों को सात-सात हजार रुपये के जुर्माने पर बरी कर दिया था। इन मलेशियाई नागरिकों ने समझौते के लिए याचिका दायर किया था, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया। 8 जुलाई को कोर्ट ने 21 देशों के 22 नागरिकों को जमानत दी थी। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने 22 विदेशी नागरिकों को दस-दस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने 8 जुलाई को जिन देशों के 22 नागरिकों को जमानत दी थी, उनमें अफगानिस्तान, ब्राजील, चीन, अमेरिका, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, मिस्त्र, रुस, अल्जीरिया, बेल्जियम, सउदी अरब, जॉर्डन, फ्रांस, कजाकिस्तान, मोरक्को, ट्यूनिशिया, ब्रिटेन, फिजी, सूडान, फिलीपींस और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं।
साकेत कोर्ट ने पिछली 7 जुलाई को 122 मलेशियाई नागरिकों को जमानत दी थी। साकेत कोर्ट ने 956 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दायर 59 चार्जशीट पर संज्ञान लिया और सभी विदेशी नागरिकों को नोटिस जारी कर कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। ये विदेशी नागरिक पिछले मार्च महीने में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। चार्जशीट में इन विदेशी नागरिकों को वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि इन विदेशी नागरिकों ने कोरोना को लेकर केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत/बच्चनSubmitted By: Sunit Nigam Edited By: Sunit Nigam Published By: Jitendra Bachchan at Jul 23 2020 6:54PM