डॉ. अरूणा महान्ती ने अपने नृत्य में दर्शाया है ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ का दर्शन

-ओडिसी नृत्यागंना पद्मश्री डॉ. अरूणा महान्ती से हिन्दुस्थान समाचार से की खास बातचीत

लखनऊ(हि.स.)। शास्त्रीय नृत्यों में नृत्यांगनाओं ने अमूमन श्रीमद्रामायण के विभिन्न प्रसंगों या शिवताण्डव या फिर श्रीदुर्गासप्शती की ही कथाओं को मंच पर उतारा है, लेकिन ओडिसी नृत्यांगना एवं गुरू डॉ. अरूणा महान्ती ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने श्रीमद्भगवत गीता के दर्शन को अपने नृत्य में दर्शाया।

केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सहित अन्य पुरस्कारों से विभूषित डॉ.अरूणा महान्ती ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता गीता पर एक ‘नृत्य’ तैयार की हूं, जो 70 मिनट की है। चाहती हूं कि लखनऊ में भी इसका शो हो।

उन्होंने बताया कि ‘गीता’ को उपदेशों को अपने नृत्य में दर्शाने की कोशिश की है। इसके लिए पूरी श्रीमद्भगवद्गीता का अध्यन किया और इसके भावों को समझने का प्रयास किया। बताया कि अपने नृत्य में सभी श्लोकों को तो नहीं, लेकिन जो खास-खास है और जो बहुत ही लोकप्रिय है, उनको नृत्य में दिखाया है।

उन्होंने बताया कि ‘गीता’ का दर्शन बहुत ही अच्छा लगा है। मैंने अपने नृत्य में मनोरंजन के साथ अध्यात्म को समेटने की पूरी कोशिश की है। ‘श्रीगीता’ जी में कहा गया कि कर्म करो,फल की इच्छा न करो, यह सही क्योंकि कर्म करना ही मेरे अधिकार में है, फल तो विधाता देगा।

ओडिसी नृत्यागंना पद्मश्री डॉ.अरूणा महान्ती एक अप्रैल को लखनऊ आई थीं। यहां पर आयोजित उड़ीसा दिवस समारोह में उन्होंने रामायण के प्रसंगों पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया था।

ओडिसी शास्त्रीय नृत्य ईश्वर की वंदना से शुरू होता है और उन्हीं को समर्पित करते हुए समाप्त भी किया जाता है। भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में यह एक बड़ी ही खूबसूरत नृत्य कला है।

शैलेंद्र मिश्रा

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