डेंगू चिकनगुनिया का होम्योपैथी में है समुचित उपचार

-होम्योपैथी दवाओं के प्रयोग से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता

कानपुर(हि.स.)। बरसात के मौसम में आजकल भीषण गर्मी एवं जलभराव के कारण डेंगू चिकनगुनिया मलेरिया एवं विचित्र बुखार ने पूरे देश को जकड़ रखा है। डेंगू एवं चिकनगुनिया एडीज मच्छर के काटने से जबकि मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू चिकनगुनिया एवं विचित्र बुखार (रास रिवर फीवर) का होम्योपैथी में समुचित उपचार है। यह जानकारी बुधवार को आरोग्यधाम के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन और डॉ. आरती मोहन ने दी।

उन्होंने बताया कि इन बीमारियों के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए होम्योपैथी में समुचित उपचार के उपाय है। डेंगू के मरीज को अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, गले में खराश, पूरे शरीर की हड्डियों में दर्द, हाथ पैर ठंडे रहना, शरीर में लाल चकत्ते पड़ने के साथ शरीर के किसी भी क्षेत्र से रक्त स्राव होने लगता है।

साधारणतया डेंगू की अवस्थाएं साधारण डेंगू 80 फीसद जबकि 20 फीसद में डेंगू हेमोरेजिक फीवर एवं डेंगू हेमोरेजिक फीवर शाक सिंड्रोम ( बेहोशी ) रहता है।

क्या है डेंगू के लक्षण

डॉक्टर आरती मोहन ने बताया कि डेंगू में आंखों में दर्द, फोटोफोबिया कमजोरी, भूख न लगना मुंह का स्वाद बदलना आदि लक्षण भी होते हैं। तेज बुखार बदन दर्द एवं उल्टी के साथ हाथ पैर ठंडे हों तो समझो डेंगू हो गया है।

डेंगू चिकनगुनिया एवं विचित्र बुखार (रास रिवर फीवर) का होम्योपैथी में है समुचित उपचार

कानपुर शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन ने बताया कि डेंगू का एलोपैथिक में कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। पर होम्योपैथी दवाओं से लक्षणों के आधार पर इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। इस अवसर पर वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर आरती मोहन ने बताया कि डेंगू फीवर के दौरान जब प्लेटलेट 40000 से नीचे घट जाए (थ्रांबोसाइटोपेनिया) उस समय होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग से प्लेटलेट काउंट सफलतापूर्वक बढ़ाकर डेंगू का सफल उपचार संभव है। डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स घटने पर व बेहोशी पर अपनाएं होम्योपैथिक दवाएं, लीवर, गुर्दे, दिल व दिमाग पर होने वाले दुष्प्रभावों को दूर करती है। होम्योपैथी और बिना किसी जांच के होम्योपैथिक दवाएं अपनाएं वायरल बीमारियां (डेंगू, चिकनगुनिया, विचित्र बुखार) से निजात पाया जा सकता है। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. हेमंत मोहन अली अब्बास ने बताया वायरस जनित बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक विधि द्वारा संभव है।

क्या करें-

किसी भी जगह पानी को रुकने न दें, गड्ढों को मिट्टी से भरें, लार्वा मारने के लिए जलाशय में लारवीवोरस मछलियां (गैम्बोजिया) एवं शैवाल का प्रयोग करें, पूरा शरीर कपड़ों से ढक कर रखें, 103 से 104 डिग्री बुखार हो जाने पर ठंडे पानी से पट्टी करें।

राम बहादुर/दिलीप

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