जो अपने छात्रों के प्रति स्नेह नहीं रखता, वह वास्तविक शिक्षक नहीं बन सकता : आनंदीबेन पटेल

लखनऊ विवि के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राज्यपाल, पद्मश्री प्रोफेसर बलराम भार्गव रहे मुख्य अतिथि

-राज्यपाल ने संविधान स्थल का किया उद्घाटन

लखनऊ (हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय ने ऐतिहासिक कला प्रांगण में अपना 66वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया। इससे पूर्व कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 100 फीट ऊंचे पोल पर राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहराया और फिर नव स्थापित “संविधान स्थल” का उद्घाटन किया।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से कहा कि शिक्षकों को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षक अपने छात्रों के प्रति सराहना और स्नेह नहीं रखता है और यदि वह ऐसा पाठ और शिक्षा प्रदान करने में अनिच्छुक है जो उसे लगता है कि उसके लिए महत्वपूर्ण है, तो वह वास्तविक शिक्षक नहीं बन सकता है।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय के 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र राष्ट्र निर्माण के लिए हमारी प्रतिभा का अच्छा उपयोग करेगा। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह एक विशेष उत्सव का विशेष अवसर होता है, जब छात्र सैद्धांतिक और साहित्यिक ज्ञान को मिलाकर व्यावहारिक सलाह प्राप्त करने के बाद जीवन के लिए संघर्ष शुरू करते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी छात्र ज्ञान प्राप्त करता है, उसे न केवल लाभ मिलता है, बल्कि उसके ज्ञान और विचारशील अंतर्दृष्टि से उसके परिवार और समाज को भी लाभ मिलता है।

समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा कि हम अब आजादी के 75वें वर्ष में हैं और यह हमारी आजादी का अमृत काल है। इसके बाद उन्होंने आजादी के पूरे 75 वर्षों में देश द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया। अनुसन्धान” चिकित्सा क्षेत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, पूरी दुनिया में 06 में से 01 डॉक्टर भारतीय है, इसी तरह पूरी दुनिया में 05 में से 01 नर्स भारतीय है, और भारत 65 प्रतिशत जेनेरिक दवा और लगभग 60 प्रतिशत वैक्सीन का निर्माता है। भारत में निर्मित होते हैं।

अपने स्वागत भाषण में प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि भारत में शिक्षा के महत्व की चर्चा बहुत प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने फिर से भारतीय मानस के अद्भुत योगदान की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया। भारत में शिक्षा के महत्व को सदैव स्वीकार किया गया है। हमारा मानना था कि शिक्षा मुक्तिदाता होनी चाहिए जो हमें सभी बंधनों से मुक्त कर दे। हम सभी अपने मूल सृजनात्मक शुद्ध स्वभाव से सत्यान्वेषी, सत्यनिष्ठ एवं सदाचारी बनें, ऐसी प्रार्थनाएं हमारे सभी गुरुकुलों में गूंजती रही हैं।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री और विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी ने सभी पदक विजेताओं को बधाई दी और लखनऊ विश्वविद्यालय को यूजीसी से कैटगरी-I प्रमाणन प्राप्त करने के लिए भी बधाई दी।

उपेन्द्र/सियाराम

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