जलवायु परिवर्तन से जीव के साथ सृष्टि को बचाना बड़ी चुनौती : आदित्यनाथ
– मुख्यमंत्री ने जल उत्सव माह का किया शुभारंभ
लखनऊ (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर 26वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता में पदक विजेताओं का उत्साह वर्धन किया और जल उत्सव माह का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के क्या प्रभाव होंगे, यह आज की सबसे बड़ी समस्या है। जलवायु परिवर्तन से जीव के साथ सृष्टि को बचाना बड़ी चुनौती है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सीएसआर फंड से वन विभाग को मिली 250 मोटरबाइक और 34 स्कूटी के फ्लैग ऑफ कार्यक्रम को भी संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अखिल भारतीय खेलकूद प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के लिए 12 स्वर्ण पदक, 18 रजत पदक, 13 कांस्य पदक विजेता इन सभी वन अधिकारियों का हृदय से अभिनंदन, बधाई है। उन्होंने कहा कि खेलकूद में बिना भेदभाव पहली श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने भाग लिया। खेलकूद में हार जीत की चिंता किये बगैर, स्वस्थ प्रस्तिस्पर्धा करके सामाजिक संदेश देता है। अभी 43 मेडल प्राप्त हुए हैं। उम्मीद है कि अगली बार उत्तर प्रदेश को नंबर एक स्थान प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा कि हम हर वर्ष 30 करोड़, 35 करोड़ वृक्षारोपण करते हैं, लेकिन उन वन सम्पदा का संरक्षण भी करना आवश्यक है। पिछले छह वर्ष में उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ वृक्षारोपण हुआ। फारेस्ट कवर बढ़ा, वन्य जीव भी बढ़े। अवैध खनन प्रतिबंधित किया गया। टाइगर रिजर्व की नई साइट बन रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग उन सभी विभागों को चिह्नित करे जहां से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हर जनपद में अमृत सरोवर बन रहे हैं। हजारों सरोवर बने, वन विभाग को इन्हें पर्यावरण वृक्षारोपण के कार्य करने चाहिए। हम इसमें ग्राम पंचायत, क्षेत्र एवं जिला पंचायत की सहायता ले सकते हैं। वन्य जीवों के प्रति सकारात्मक भाव लोगों के मन में पैदा करना होगा। जीवन चक्र केवल मनुष्य से नहीं, जीव और मनुष्य के बेहतर समन्वय से चलेगा। जीवन चक्र को बनाकर चलना होगा। वन विभाग को राज्य पशु बारह सिंघा के संरक्षण, संवर्धन के लिए पार्क स्थापित करे। इसी तरह राज्य पक्षी सारस के भी संरक्षण संवर्धन करने की प्रक्रिया करनी चाहिए। इस मौके पर वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
दिलीप शुक्ल