जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान अंतरा-इंजेक्शन में महिलाओं ने दिखाई रुचि
50 महिलाओं व दो पुरुषों ने परिवार नियोजन का स्थाई साधन अर्थात नसबंदी अपनाया
जानकी शरण द्विवेदी
गोण्डा। आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की जिम्मेदारी थीम के साथ जनपद गोंडा में 11 जुलाई से 31 जुलाई तक ‘विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा’ मनाया गया। इस दौरान जिले की महिलाओं ने परिवार नियोजन के विभिन्न स्थायी व अस्थायी संसाधनों को अपनाने में ख़ूब दिलचस्पी दिखाई। पखवाड़े में जिले की 50 महिलाओं ने तथा दो पुरुषों ने परिवार नियोजन के स्थाई साधन “नसबंदी” को अपनाया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर ने बताया कि विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा दो चरणों में आयोजित किया गया। पहले चरण में 27 जून से 10 जुलाई तक व्यापक प्रचार प्रसार और इच्छुक दंपतियों का पंजीकरण किया गया, जबकि दूसरे चरण में 11 जुलाई से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन सेवा प्रदायगी पखवाड़ा का आयोजन किया गया। इस दौरान परिवार नियोजन साधन अपनाने के लिए इच्छुक महिलाओं व पुरुषों की पहले जिला अस्पताल में ट्रूनेट मशीन से कोरोना संबंधी जांच की गई। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद इनको नसबंदी की सुविधा प्रदान की गई। जिले में इस पखवाड़े के दौरान 50 महिला नसबंदी व दो पुरुष नसबंदी की गई तथा 361 महिलाओं को आईयूसीडी, 276 महिलाओं को पीपीआईयूसीडी व महिलाओं को 230 गर्भनिरोधक इंजेक्शन लगाये गए। इसके अलावा 35076 कंडोम, 2055 माला-एन गर्भनिरोधक गोली, 1749 छाया गर्भनिरोधक गोली व 1093 आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का वितरण स्वास्थ्य इकाईयों एवं समुदाय स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा वितरित किया गया।
उन्होंने बताया कि अस्पतालों के अलावा सभी सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक स्थानों पर परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता के लिए दीवार लेखन किया गया। लाउड स्पीकर से भी प्रचार-प्रसार किया गया। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता,आशा-संगिनी और एएनएम ने इच्छुक दंपतियों को परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधन अपनाने हेतु प्रेरित किया। परिवार नियोजन की स्थायी विधि अर्थात नसबंदी अपनाने वाली महिलाओं को दो हजार रुपये और पुरुषों को तीन हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती हैख् जबकि परिवार नियोजन के लिए प्रेरित करने वाली आशाओं को महिला नसबंदी के लिए तीन सौ रुपये और पुरुष नसबंदी के लिए चार सौ रुपये प्रेरक के रूप में दिए जाते हैं।