चिकित्सकों की हड़ताल के चलते कैंसर संस्थान में ओपीडी सेवाएं ठप

लखनऊ (हि.स.)। राजधानी लखनऊ के चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान में वेतन विसंगति को लेकर चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने के कारण संस्थान में ओपीडी सेवाएं ठप हो गयी हैं।

कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन ने 11 दिसम्बर को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने 10 दिसम्बर को शासनादेश जारी कर स्थिति स्पष्ट की थी। इसके बावजूद कैंसर संस्थान के चिकित्सक 11 दिसम्बर को हड़ताल पर चले गये। कैंसर संस्थान के चिकित्सक जनेश्वर मिश्र पार्क में एसजीपीजीआई के समान वेतनमान समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

दरअसल कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान में तैनात डॉक्टर लंबे समय से एसजीपीजीआई के समान सातवें वेतनमान देने की अपील शासन से कर रहे हैं लेकिन शासन की तरफ से उनकी इस मांग को दरकिनार किया जा रहा है। यहां तैनात डॉक्टरों को अभी एसजीपीजीआई के समान ही छठे वेतनमान का लाभ मिल रहा है। डॉक्टर यह चाहते हैं कि आगे भी उन्हें एसजीपीजीआई के समान ही वेतनमान मिले, लेकिन शासन की मंशा कुछ और है। शासन ने वेतनमान को लेकर नया आदेश जारी किया है।

रविवार को उपसचिव एसपी सिंह की तरफ से शासनादेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि संस्थान में तैनात डॉक्टर और कर्मचारियों को पूर्व की भांति वेतन भत्ते मिलते रहेंगे। जब तक न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं आ जाता है। जबकि संस्थान के बायलॉज के अनुसार भविष्य में होने वाली भर्तियों में राज्य कर्मचारियों की तरह वेतनमान दिया जाएगा। सोमवार को कैंसर संस्थान के डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कैंसर को हराना है कैंसर संस्थान को बचाना है। हमें न्याय चाहिए जैसे तमाम स्लोगन लिखी हुई तख्तियां हाथों में लेकर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं।

कैंसर संस्थान फैकल्टी एसोसिएशन का कहना है कि एसजीपीजीआई के समान वेतनमान देने का वायदा किया गया था। अब मेडिकल कॉलेज के बराबर वेतनमान देने की साजिश की जा रही है।

कैंसर संस्थान फैकल्टी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. शरद सिंह ने कहा कि सरकार एक संस्थान में दोहरी नीति लागू कर रही है। नए चिकित्सकों को सरकार की तरफ से सातवें वेतनमान का लाभ देने का आदेश हुआ है, जबकि पुराने चिकित्सकों का मामला कोर्ट में है। इसलिए कोर्ट का फैसला आने तक कोई शासनादेश जारी नहीं करना चाहिए। प्रो.शरद सिंह ने कहा कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गयीं तो संस्थान के चिकित्सक सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे।

एसजीपीजीआई के निदेशक डाॅ. आर.के.धीमान ने बताया कि कैंसर संस्थान के बायलाज के हिसाब से वेतनमान तय होता है। 26वें बायलाज में राज्य सरकार के समान वेतनमान की बात कही गयी है। जबकि 29वें बायलाज में एसजीपीजीआई के समान वेतनमान की बात कही गयी है। डाॅ. धीमान ने बताया कि वर्तमान में तैनात चिकित्सकों को जो वेतन मिल रहा है, कोर्ट के आदेश तक वही वेतनमान मिलता रहेगा। आगे कोर्ट का जो फैसला आयेगा उसके हिसाब से आगे काम होगा।

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि कल्याण सिंह कैंसर संस्थान एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल है। यहां पर कैंसर पीड़ित मरीजों को उच्च गुणवत्ता का इलाज दिया जाता है। जब यह संस्थान बना था उस दौरान यहां पर सारी व्यवस्थाएं और वेतनमान एसजीपीजीआई के सामान देने की बात कही गई थी। मौजूदा समय में तैनात डॉक्टरों को छठा वेतनमान एसजीपीजीआई के समान ही मिल रहा है। डॉक्टर ने कहा है कि अव्यवस्था के चलते एक दर्जन से अधिक डॉक्टर पहले ही संस्थान छोड़ चुके हैं।

बृजनन्दन/दिलीप

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