घाटमपुर के जलाला गांव में मतदान के लिए अधिकारियों को करनी पड़ी मिन्नतें

– सेल्समैन की हत्या से नाराज ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार, तीन घंटे बाद शुरु हुआ मतदान

कानपुर (हि.स.)। सेल्स मैन आनंद सिंह भदौरिया की हत्या का खुलासा न होने से नाराज घाटमपुर के जलाला गांव के मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। मतदान बहिष्कार की जानकारी पर आलाधिकारियों के हाथ पांव फूल गये और मतदान के लिए ग्रामीणों से मिन्नतें करने लगे। एसीपी और थाना प्रभारी ने एक सप्ताह में घटना के खुलासे का आश्वासन दिया। इसके बाद करीब तीन घंटे बाद ग्रामीणों ने मतदान के लिए राजी हुए और मतदान शुरु हो गया।

घाटमपुर के जलाला गांव निवासी आनंद भदौरिया साढ़ थाना क्षेत्र के एक अंग्रेजी शराब में सेल्समैन का काम करता था। हाल ही में उसकी हत्या कर दी गई थी और शव खेत में पड़ा मिला था। परिजनों का आरोप है कि शराब ठेके के पास कैंटीन संचालक ने हत्या कराई है। पुलिस मामले में जांच पड़ताल कर रही है, लेकिन घटना का खुलासा नहीं हो सका। इस पर ग्रामीणों ने सोमवार को मतदान का बहिष्कार कर दिया। मतदान बहिष्कार की जानकारी पोलिंग बूथ में लगे कर्मचारियों जैसे ही अधिकारियों को दी तो अधिकारियों के हाथ पांव फूल गये।

इसके बाद मौके पर पहुंचे सेक्टर मजिस्ट्रेट ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन परिजन और ग्रामीण मतदान के लिए राजी ही नहीं हो रहे थे और जिलाधिकारी को बुलाने की मांग कर रहे थे। घंटों तक मतदान न होने पर एसीपी घाटमपुर रंजीत कुमार और थाना प्रभारी पीके सिंह मौके पर पहुंचे और आश्वासन दिया कि एक सप्ताह में घटना का खुलासा कर दिया जाएगा। पुलिस अधिकारियों के आश्वासन से संतुष्ट मृतक के पिता व ग्रामीण वोट डालने के लिए राजी हुए। पोलिंग बूथ में सबसे पहला वोट मृतक के पिता यश करण सिंह ने डाला। इसके बाद एक-एक करके ग्रामीण मतदान करने लगे तब जाकर अधिकारियों ने राहत की सांस ली। यहां पर करीब तीन घंटे तक मतदान बाधित रहा।

ग्रामीणों ने मतदान न करने का फैसला कई दिन पहले ले लिया था। इसी के चलते इस गांव में किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई एजेंट भी नहीं बना था।

बिल्हौर में भी ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार

कानपुर के बिल्हौर तहसील के कई गांव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। बाकरगंज व मेडूआ गांव में ग्रामीणों ने मत का बहिष्कार किया। कई सालों से ग्रामीण गांव के विकास की मांग कर रहे थे। नेताओं के द्वारा ग्रामीणों की न सुनने पर ग्रामीणों ने मत का बहिष्कार किया। कई पार्टी के नेता ग्रामीणों को समझाने में जुटे और आश्वासन पर करीब तीन घंटे बाद मतदान शुरु हो सका।

अजय/राजेश

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