ग्रामीण विकास को पारिस्थितिकी अनुकूल प्रौद्योगिकी जरूरी : मुख्यमंत्री

– ”पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन

– यूरोप का विकास मॉडल यूपी के लिए भी कारगर हो, यह जरूरी नहीं

– पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल सतत विकास में नागरिक भागीदारी जरूरी

गोरखपुर(हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के साथ सतत ग्रामीण विकास के लिए पारिस्थितिकी अनुकूल प्रौद्योगिकी को अपनाना जरूरी है। यह कोई आवश्यक नहीं यूरोप का कोई विकास मॉडल उत्तर प्रदेश के लिए भी कारगर हो। तकनीकी आज की आवश्यकता है, पर पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए प्राचीन देसी पद्धतियों से जोड़कर इसे आगे बढ़ाना होगा।

मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ”पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और सतत ग्रामीण विकास” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कर रहे थे। इसका आयोजन महाविद्यालय के भूगोल विभाग की तरफ से, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से किया जा रहा है। बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण जल, भूमि, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों का समन्वित रूप है। यदि भूमि रहने लायक न रहे, जल पीने लायक न रहे, जीव-जंतुओं का अस्तित्व संकट में रहे तो प्रौद्योगिकी का क्या महत्व रहेगा। पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को सरकार या संस्थानों के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

भारतीय समाज प्राचीनकाल से ही पर्यावरण के लिए संवेदनशील

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारतीय समाज प्राचीनकाल से ही पर्यावरण के लिए संवेदनशील रहा है। भारतीय मनीषा ने पृथ्वी को माता की संज्ञा दी है और कोई भी पुत्र मां पर प्रहार स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य तय किए। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ पर्यावरण को भी सम्मिलित किया गया। इन लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने को लेकर सभी देशों के प्रयास पर जोर दिया गया है।

महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य मॉडल को अपनाने पर जोर

मुख्यमंत्री ने आज के दौर में सतत ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य के मॉडल को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस मॉडल में सरकार पर निर्भर रहने की बजाय ग्रामीणों के पारस्परिक सहयोग से कूड़ा प्रबंधन से लेकर ग्रामीण जीवन के स्वावलंबन का विजन है। उन्होंने जल संचयन के लिए तालाबों के संरक्षण के प्राचीन पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि गांवों में तालाब आदि का जल प्रदूषित होने से इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी सामने आई। इससे 40 वर्ष में करीब 50 हजार बच्चों की असामयिक मृत्यु हो गई।

नमामि गंगे परियोजना से कम हुआ नदी का प्रदूषण

मुख्यमंत्री ने जल प्रदूषण पर नियंत्रण और जल संरक्षण के लिए नमामि गंगे परियोजना और पंजाब के संत सींचेवाल मॉडल का भी विस्तार से उल्लेख किया। कहा कि 2016 में नमामि गंगे परियोजना लागू होने के बाद गंगा जल की शुद्धता, अविरलता और निर्मलता बढ़ी है। गांगेय डॉल्फिन जैसे जलीय जीव फिर से दिखाई दे रही हैं। गंगा नदी में स्नान करने से अब चकत्ते नहीं पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर गंगा नदी का प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है। इसी तरह संत सींचेवाल के मॉडल से जल की शुद्धि का देसी और प्रभावी तरीका एक बार फिर सबके सामने आया है।

पीएम मोदी का लक्ष्य, 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत में जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। उनका स्वच्छ भारत मिशन भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है जिसमें ग्रामीणों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति आग्रही बनाया गया।

डॉ. आमोदकांत /मोहित

error: Content is protected !!