गोरखपुर चिड़ियाघर : छाएगी हरियाली, 20 फिट ऊंचे 210 पेड़ों का हो रहा ट्रांस्प्लांटेशन
गोरखपुर (हि.स.)। खिचड़ी के दिन यानि 14 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तावित शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान के लोकार्पण की तैयारियां जोरों पर हैं। केंद्रीय प्राणी उद्यान प्राधिकरण नई दिल्ली की टीम ने प्राणी उद्यान की अनुमति देने के पूर्व हरियाली की जरूरत क्या बताई, यहां 20 से 22 फीट ऊंचे एवं 12 से 15 साल पुराने पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन शुरू हो गया है।
वन विभाग ने चिड़ियाघर में ट्री ट्रांसप्लांटेशन की तकनीक अपना लिया है। इसकी मदद से ही ट्रांसप्लांटेशन किया जा रहा है। गोरखपुर चिड़ियाघर में पौधों के बजाए 20 फीट ऊंचे पेड़ ट्रांसप्लांट किये जा रहे हैं। बाहर से मंगवाए गए 210 पेड़ों को पूरे चिड़ियाघर परिसर में लगाया जा रहा है। यह कार्य गोरखपुर निवासियों के लिए नया है और हाइड्रा और जेसीबी की मदद से पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन को देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो रही है।
शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान में निर्माण कार्य तकरीबन पूर्ण हो चुका है। अब अंतिम दौर में हरियाली फैलाने के उपाय अपनाये गए हैं। बता दें कि अनेक कार्यों के पूरा होने के बाद भी चिड़ियाघर में कम हरियाली अखर रही थी। वजह, वन्यजीव के बाड़ों एवं प्राणी उद्यान में हर ओर हरियाली की मात्रा काफी कम थी। इसकी जल्द भरपाई करने के लिए डीएफओ अविनाश कुमार ने पहल करते हुए ट्री ट्रांसप्लांटेशन की तकनीक अपनाए जाने पर जोर दिया।
तीन से 15 वर्ष के 210 पेड़ लगाए जा रहे चिड़ियाघर को हरियाली से भरपूर जरने को फिलहाल 210 की संख्या में 03 से 15 साल की उम्र तक के पेड़ लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि चिड़ियाघर में हरियाली लेन के लिए इतने पेड़ नाकाफी हैं, बावजूद हरियाली में इजाफा लाजिमी है। बता दें कि इन पेड़ों को शाहजहांपुर के गजरौला से प्राणी उद्यान लाया गया है।
दूसरी बार अपनाई विधा, कुशीनगर में भी इस विधा का हुआ उपयोगगोरखपुर-बस्ती मण्डल में इस विधा का इस्तेमाल गोरखपुर-मेडिकल रोड पर पहली बार हुआ था। कोलकाता से लाए गए खजूर के पेड़ लगाए जाने के बाद दूसरी बार प्राणी उद्यान में किया जा रहा है। इसके साथ ही कुशीनगर में भी इस विधा को अपनाया गया है। कुशीनगर के पूर्व सांसद राजेश पांडेय के सपहां स्थित फार्म हाउस में भी इसी विधा का उपयोग कर खजूर के पेड़ लगाए गए हैं। इनका ट्रांसप्लांटेशन पूरा हो चुका है। बताया जा रहा है कि पूर्व सांसद द्वारा यहां स्कूल के अलावा आवासीय योजना पर भी कार्य हो रहा है।
बोले जानकरहेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी नरेंद्र कुमार मिश्र एवं अनिल कुमार तिवारी ने वन विभाग के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि भविष्य में विकास की बलि पेड़ नहीं चढ़ेंगे बल्कि विशेषज्ञता हासिल कर चुके वन विभाग के कर्मचारी स्वयं ऐसे पेड़ों को री-ट्रांसप्लांट कर पाएंगे।
इन पौधों-पेड़ों का भी होगा ट्रांसप्लांटेशनअभी यहां कचनार, बोतल ब्रस, पाकड़, बालम खीरा, बड़ी सावित्री, मौलश्री, कंजी, कदम्ब, प्लूमेरिया अल्बा, पेल्टोफोरम, कनक चम्पा, स्पोथ्रोदिया, जामुन, अर्जुन, चक्रेसिया, टेबेदुइया, फाइकस, कैसिया ग्लूका प्रजाति के पेड़ भी लगाए जाने हैं। इनमें 190 पौधे 03 साल की उम्र की होंगे। 1017 लतावर्गीय यानी बेल वाले पौधे शामिल होंगे।
ऐसे ट्रांसप्लांट होता है एक भरा-पूरा पेड़ शाहजहांपुर के गजरौला की नर्सरी से जुड़े संजय के मुताबिक यह कोई एक दिन या कुछ सप्ताह का कार्य नहीं है। इसके किये काफी मेहनत करनी होती है। सावधानियां रखनी होती हैं। इसे ट्रांसप्लांट करने को पेड़ की जड़ों को देखते हुए बड़ा गढ्ढा खोदते हैं। उसमें गोबर की खाद, नीम की खली डालते हैं। मैलाथियॉन डाल कर पेड़ की जड़ों को क्षति पहुंचाने वाले मिट्टी के कीड़ों को मारते हैं। फिर हाइड्रा की मदद से पेड़ को सीधा खड़ा करते हैं और उनकी जड़ों के जल्द विकास के लिए रुटैक्स नामक रसायन का इस्तेमाल करते हैं।
एक साल की मेहनत के बाद होता है ट्रांसप्लांट संजय के मुताबिक इन पेड़ों को तत्काल किसी अन्य स्थान से ऊखाड़ कर नहीं लगाया जाता है, बल्कि एक साल पूर्व इन्हें सावधानी के पूर्वक उखाड़ना पड़ता है। फिर मिट्टी और खाद की मदद से इनकी जड़ों को प्लास्टिक में बांध कर रखना सावधानी का एक अंग है। ऐसा करने से इनके सर्वाइवल रेट बढ़ जाता है। सूखने की गुंजाइश न के बराबर हो जाती है।