गोंडा के नामी चिकित्सक व कर्मचारियों पर FIR

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। जिले में एक प्रतिष्ठित चिकित्सक, संस्थान के प्रबंधक तथा कर्मचारियों के खिलाफ अदालत के आदेश पर धोखाधड़ी व लापरवाही से कार्य करते हुए किसी के जीवन को संकट में डालने का अभियोग दर्ज कराया गया है। यह जानकारी देते हुए कोतवाली नगर के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार पाठक ने आज यहां बताया कि खरगूपुर थाना क्षेत्र के कहला तेंदुआ निवासी महेश कुमार की तहरीर पर बुधवार को होप स्कैनिंग सेंटर के रेडियोलाजिस्ट डा. टीएस भोसले तथा प्रबंधक व समस्त कर्मचारियों के खिलाफ अभियोग दर्ज किया गया है। प्राथमिकी के अनुसार, महेश का बेटा शक्ति (18) 12 फरवरी 2024 को असहनीय पेट दर्द से परेशान था। उसे लेकर जिला मुख्यालय पर एक प्रतिष्ठित संस्थान के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डा. क्षितिज सरन को दिखाया गया। उन्होंने मरीज का एमआर सीपी कराने को कहा। होप स्कैनिंग सेंटर पर बच्चे की जांच कराकर रिपोर्ट व फिल्म प्राप्त की गई। रिपोर्ट को देखने पर डा. सरन ने बताया कि बच्चा गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। इलाज लम्बा चलेगा किंतु ठीक हो जाएगा। जबकि दवाओं से उसे कोई विशेष राहत नहीं मिल रही थी। उसकी परेशानी को देखते हुए महेश बेहतर उपचार के लिए लगातार चिकित्सक बदलते रहे और एक माह के अंदर गोंडा, बहराइच व लखनऊ के आधा दर्जन से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाया, किंतु मरीज को कोई विशेष लाभ नहीं मिला। 15 मार्च 2024 को पीजीआई लखनऊ के डा. रजनीश सिंह जब सभी डॉक्टरों के पर्चों व जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे थे, तो उन्होंने एमआर सीपी की फिल्म देखने पर कहा कि यह तो शक्ति की रिपोर्ट न होकर राम मिलन गोस्वामी (62) की है। इसके बाद होप स्कैनिंग सेंटर से संपर्क किए जाने पर उन्होंने दूसरी रिपोर्ट उपलब्ध कराया। इसे ले जाकर डा. रजनीश सिंह को दिखाया गया तो उन्होंने यह रिपोर्ट भी राम मिलन गोस्वामी की ही बताई। इस बीच, गलत जांच रिपोर्ट के आधार पर डाक्टरों द्वारा अनुचित दवाएं लिखी गईं, जिससे शक्ति का जीवन संकट में पड़ गया। इस प्रकार डाक्टर व उनके कर्मचारियों ने एक मरीज के जिंदगी के साथ पूरी लापरवाही करते हुए खिलवाड़ किया। प्रभारी निरीक्षक ने कहा कि प्रकरण में अदालत के आदेश पर बुधवार को भादवि की धारा 420 व 336 के तहत अभियोग दर्ज कर विवेचना उपनिरीक्षक रजनीश द्विवेदी को सौंपी गई है। इस सम्बंध में आरोपी सेंटर के प्रबंधक महेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी मरीज का एमआर सीपी होने पर उसे जांच रिपोर्ट के साथ ही फिल्म भी उपलब्ध कराई जाती है, जिस पर कई स्थानों पर मरीज का नाम अंकित होता है। फिल्म को देखते ही किसी भी डाक्टर की सामान्यतया नजर भी नाम पर जाती है। प्राथमिकी में लगाए गए आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। केवल परेशान करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

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