गुलदारों के अलग – अलग हुए हमलों में बच्ची सहित एक युवक की गई जान

बिजनौर( हि.स.) । जनपद में गुलदार के हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। दो अलग अलग मामलों में दो को गुलदार ने फिर अपना निवाला बनाने में कामयाब हो गया है जिससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है ।

कस्बा रेहड़ के गाँव मच्छमार ने पांच वर्षीय बच्ची पर हमला कर उसकी जान ले ली है। नगीना थाने के गाँव सैदपुरी इलाके में एक युवक पर गुलदार ने हमला कर उसकी जान ली है । जानकारी के अनुसार पिछले सात दिनों में गुलदार की हमले की आधा दर्जन वारदातें हो चुकी है जिसमें एक बुजुर्ग सहित चार की जान जा चुकी है । वन विभाग द्वारा लगाये गये पिंजरे व रेकी सब नाकाम साबित हो चुकें हैं।

रेहड़ क्षेत्र के मच्छमार में गाँव के बाहरी छोर पर टिकेन्द्र सिंह का मकान है । टिकेन्द्र सिंह की पांच वर्षीय पुत्री यामिनी खाना खाने के बाद आंगन में आ गईं थी, टिकेन्द्र सिंह के घर पर मेन गेट नहीं है । इसी दौरान गुलदार आया तथा बच्ची को उठाकर ले गया । शोर सुनकर परिजन बच्ची को बचाने पहुंचे जो घर से कुछ दूरी पर मिली लेकिन जब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी। वहीं दूसरा मामला नगीना क्षेत्र के सैदपुरी इलाके का है, जहाँ युवक पर मन्दिर जातें समय गुलदार ने हमला कर जान ले ली । दोनों शवों का पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया है । लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है क्योंकि आये दिन गुलदार के हमलों से मौतों का सिलसिला बढ रहा है।

वन विभाग का मानना है कि गुलदार नरभक्षी नहीं है क्योंकि गुलदार बच्ची का शव को नहीं खा सका है । विभाग के अफसर व विशेषज्ञ का मानना है कि गुलदार ने शनिवार को भी एक कुत्ते व बछिया पर भी हमले की कोशिश की तथा एक बच्ची को घायल भी किया । रविवार की रात्रि में गुलदार ने एक बच्ची पर हमला कर मार दिया था। बार बार हमला करने वाला गुलदार शव को खा नहीं रहा है । इसलिए नरभक्षी नहीं माना जा सकता है पर गुलदार इसांनो के लिए खतरनाक बन चुका है जो बड़ा खतरा है। गुलदार के बढते आतंक के चलते विशेषज्ञों की टीम बिजनौर पहुंची है जिसमें राजीव सोलोमन, तलहा फरीद, शाह अली बिन हादी, तारिक खुर्शीद व आशीष दास गुप्ता शामिल हैं ।

सभी ने मिलकर गुलदार को पकड़ने की योजना पर काम शुरू कर दिया है । राजीव सोलोमन का कहना है कि गुलदार ने किसी को खाया नहीं है पर लगातार इंसानों पर हमलावर है । उत्तराखंड में ऐसी स्थिति में गुलदार को मारने की परमिशन मिल जाती है जबकि उत्तर प्रदेश में नरभक्षी घोषित करने की प्रक्रिया काफी जटिल है ।

गुलदार के हमलों को देखते हुए जनपद को ग्रीन, येलो तथा रेड जोन में बाटां जायेगा तथा गुलदार के स्वभाव के हिसाब से गूगल मैप से उन्हें ट्रेस किया जायेगा । डीएफओ अरुण सिंह ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने सलाह दी है कि पकड़े गए गुलदार को वन क्षेत्र अमानगढ़ न छोड़कर किसी रेस्क्यू सैन्टर में भेजा जाये क्योकि वन में छोड़ने के बाद गुलदार वापस आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं ।

जनपद के चांदपुर तहसील के हीमपुर दीपा के गाँव रेहरा के जगंलों में तीन स्थानों पर गुलदार व उसके शावक देखें जाने पर भय का माहौल बना हुआ है । वहीं अफजलगढ़, धामपुर, नगीना, आदि शहरी क्षेत्रों के निकट गावों में गुलदार की आमद ग्रामीणों के खतरा बनी हुई है । गौरतलब है कि पिछले दो माह में वन विभाग द्वारा पिंजरे लगाकर आधा दर्जन से अधिक गुलदार पकड़ कर वनक्षेत्र में छोड़े जा चुके हैं ।

आजकल खेतों में गेंहू कटाई का काम भी चल रहा है । बड़ी संख्या में किसानों को खेतों में जाना मजबूरी है। किसानों व ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है गुलदारों के आतंक से मुक्ति दिलाने को बडे़ स्तर पर कार्यवाही करें । वन विभाग ने ग्रामीणों में जागरुकता अभियान चलाते हुए खेतों में अकेले नहीं जाने तथा हाथ में डडां लेकर चलने, बच्चों को साथ नहीं ले जाने की अपील की है ।

नरेन्द्र

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