गाय, गंगा व गांव हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर- महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति
गाजीपुर (हि.स.)। सिद्धपीठ हथियाराम मठ एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो चुका है। जहां निरंतर लगातार 2 माह तक चलने वाले चातुर्मास महानुष्ठान के दौरान सहस्त्र चंडी तथा अतिरुद्र महायज्ञ के मंत्रोच्चारण से समूचा क्षेत्र अलौकिक शक्ति के प्रकाश से विद्यमान हो चुका है। लगातार पिछले 5 वर्षों से सिद्धपीठ हथियाराम मठ में चतुर्मास में अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। जबकि इससे पूर्व देश के कोने-कोने में स्थित भूत भावन बाबा विश्वनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थल क्षेत्रों सहित पशुपतिनाथ नेपाल, परली वैद्यनाथ महाराष्ट्र व अनेक तीर्थ स्थल पर इस यज्ञ का आयोजन हुआ।
इसी क्रम में श्री यति जी के 26वें चातुर्मास अनुष्ठान का समापन सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर वैदिक विद्वानों के आचार्यत्व व बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं की उपस्थिति में किया गया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहाकि यह धरती भगवान राम कृष्ण की धरती है। विश्व में सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका माना जाता है लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्धशाली होने का गौरव भारत को प्राप्त हुआ। जहां माता गंगा का वास हुआ। गाय, गंगा व गांव हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर है। लगभग 700 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ तमाम ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहर सहेजे हुए हैं। मां गंगा द्वारा प्रदत्त कटोरा इस मठ की एक अलौकिक धरोहर है। इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी में मुगल शासन के दौरान बाबा विश्वनाथ मंदिर पर सिद्धपीठ द्वारा संचालित टेकरा के धर्माचार्य द्वारा किए गए शास्त्रार्थ का उल्लेख करते हुए कहा सिद्धपीठ के ब्रह्मलीन गुरुजनों के तेज बल व पुण्य प्रताप से मठ आज आध्यात्मिक जगत में एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित हुआ है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं जिन्हें इस मठ की मिट्टी अपने माथे से लगाने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी संत डॉ रत्नाकर त्रिपाठी ने कहाकि सिद्धपीठ के संतो के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आदिसन्त मुरारनाथ जी द्वारा दातुन को फाड़कर जमीन में दबा देने के बाद एक बड़ा वृक्ष बलियां जनपद के नगरा स्थित झाड़ी गांव व एक वृक्ष मोहनियां बिहार के करगहर में विशाल वटवृक्ष का स्वरुप रूप अख्तियार कर लिया है।
डॉक्टर त्रिपाठी ने कहाकि बुढ़िया माई की कृपा से लकवा जैसे असाध्य रोग से ग्रसित लोग भी अपने पैरों पर चलकर जाते हैं। वहीं देश के कोने-कोने से वर्ष पर्यंत दर्शनार्थियों का आना-जाना व सिद्धपीठ द्वारा लोक कल्याण निमित्त निरंतर अनुष्ठान व महायज्ञ का आयोजन सिद्धपीठ सार्थकता को साबित करता है।
इस अवसर पर शंभू जी पाठक सतना, गंगोत्री सेवा समिति वाराणसी किशोरी रमण दुबे, आचार्य सुरेश जी त्रिपाठी, आचार्य संजय त्रिपाठी, आचार्य रामानन्द त्रिपाठी, पंडित सर्वेश पाण्डेय, डॉ मंगला प्रसाद सिंह कथाकार, डॉ कौस्तुभ भट्टाचार्य, संत अमरजीत महाराज, संत देवराहा बाबा, ब्लाक प्रमुख संतोष यादव, पूर्व ब्लाक प्रमुख शारदानंद राय, डॉ सुरेंद्र नाथ सिंह, हरिश्चंद्र सिंह, गोविंद यादव, वरुण सिंह, काशी विद्यापीठ ब्लाक प्रमुख प्रवेश पटेल, लौटू प्रसाद, चंदौली से भरथ सिंह, विनोद सिंह, हृदयनारायण सिंह, यशवंत सिंह, शैलेष बागी, चन्दन पाण्डेय, अभयानन्द यति, महेन्द्र सिंह, निक्कू सिंह, डॉ उदयभान सिंह सहित काफी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
बालिकाओं ने समवेत स्वर में किया गीता पाठ
सिद्धपीठ के ब्रह्मलीन संत व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पवहारी श्री बालकृष्ण यति जी महाराज द्वारा स्थापित कन्या महाविद्यालय की सैकड़ों छात्राओं ने समवेत स्वर में गीता पाठ का वाचन कर पूर्णाहुति समारोह को भावविभोर कर दिया। महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा गीता पाठ को कंठस्थ कर आयोजन में वाचन से प्रसन्न होकर श्री यति जी महाराज ने घोषणा किया कि अगले वर्ष के चातुर्मास समारोह में गीता पाठ के सभी अध्याय का वाचन करने वाली छात्रा को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा।