गर्मी के मौसम में खेत की जुताई अतिमहत्वपूर्ण: मौसम वैज्ञानिक
कानपुर (हि.स.)। कृषि मौसम विज्ञान की दृष्टि से किसान भाइयों को गर्मी के मौसम में खेत की जुताई करना चाहिए। ऐसे समय में जुताई करने से मिट्टी में वायु संचार और जल सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एंव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने हिन्दुस्थान समाचार से बात करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि किसान भाइयों को गर्मी के मौसम में यह ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी पलटने वाले हल, कल्टीवेटर, डिस्क हैरो, एमबी प्लॉउ, प्लॉउ, सब्स्वॉयलर हल और डक फुट कल्टीवेटर के सहयोग से अपने खेत की जुताई 15 सेंटीमीटर की गहराई तक ग्रीष्मकालीन जुताई करना चाहिए।
गहराई से जुताई के क्या होते है फायदे
कृषि मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि गर्म मौसम में सभी कृषि उपकरण खेत की मिट्टी को गहराई से जोतने पर बड़े-बड़े ढेले के रूप में ऊपर-नीचे पलटते हैं। गर्मी के मौसम में इस प्रकार की जुताई से जो ढेले बनते हैं वे धीरे-धीरे हवा और बारिश से टूटते रहते हैं, जिससे मिट्टी में वायु संचार और जल सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है। इस प्रकार की जुताई करने से जमीन की सतह पर पड़ी पुरानी फसल अवशेष, फसलों की जड़ें और खरपतवार आदि मिट्टी के नीचे दब जाते हैं, जो सड़ने के बाद मिट्टी में जीवाश्म और कार्बनिक पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि करते हैं। इससे जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। साथ ही मिट्टी की भौतिक संरचना में भी सुधार होता है।
नष्ट हो जाते है फसल को नष्ट करने वाले तत्व व कीटाणु
डॉ. एस.एन.पांडेय ने बताया कि गर्मी के समय खेत की जुताई करने से कीड़े-मकोड़े, रोग कीट और लार्वा हो जाते हैं नष्ट गर्मी के मौसम में खेतों की जुताई कर खाली छोड़ने से मिट्टी को अंदर तक वायु और सूर्य का प्रकाश सुचारू रूप से मिलता है, जिससे मिट्टी में खनिज पदार्थों की मात्रा बढ़ती है। इसके अतिरिक्त इस क्रिया से मिट्टी की संरचना दानेदार होती है, जिससे भूमि में वायु संचार और जल धारण क्षमता बढ़ जाती है।
फसल रोग गस्त न होकर अच्छी पैदावार देती है। खास कर किसान द्वारा उन खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई जरूर करनी चाहिए, जिनमें गेहूं और जौ फसल की बुवाई की गई थी। क्योंकि गेहूं और जौ की फसल में निमेटोड रोग का प्रकोप होता है और यह फसल की गांठों में होता है। यह गांठ भूमि के अंदर होती है, जो जुताई के दौरान ऊपर आकर तेज धूप के संपर्क में आकर सूख कर खत्म हो जाती है।
गर्मी में बलुई और रेतीली भूमि में नहीं करनी चाहिए जुताई
खेतों की जुताई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जुताई के दौरान मिट्टी के ढेले बड़े आकार में ही रहे। मिट्टी भुरभुरी न होने पाए, क्योंकि गर्मियों में चलने वाली तेज हवा से मृदा अपरदन हो सकता है। बलुई और रेतीली भूमि में ग्रीष्मकालीन जुताई नहीं करनी चाहिए। बारानी क्षेत्रों में किसानों को गर्मी में मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत दिशा में ढलान को काटते हुए जुताई करनी चाहिए। ऐसा करने से बारिश के साथ मिट्टी के बहने की संभावना कम हो जाती है। क्योंकि इस प्रकार की जुताई से बारिश का पानी मिट्टी सोख लेती है और पोषक तत्व भी बहकर खेत से बाहर नहीं जाएंगे।
गर्मी के मौसम में खेतों की गहरी जुताई के लाभ
खेत की मिट्टी पलटने से मिट्टी में जल, वायु और प्रकाश का संचरण तेजी से होता है। जिससे मिट्टी में मौजूद खनिज तत्व अधिक सुगमता से पौधे के विकास के लिए भोजन बनाते हैं। जुताई से अगली फसलों में कीट रोग और कीड़े-मकोड़ों के नियंत्रण में मदद मिलती है। क्योंकि खेत में मौजूद कीड़े और रोगों के कीट भूमि की सतह पर आ जाते हैं और तेज धूप से खत्म हो जाते हैं।
गर्मियों में खेतों की गहरी जुताई मिट्टी में जीवाणु की सक्रियता बढ़ जाती है। यह दलहनी फसलों के लिए अधिक उपयोगी है, क्योंकि दलहनी फसलों की जड़ों में नाइट्रोजन होता है, जो जुताई से मिट्टी में मिल जाते हैं। जुताई से खरपतवार नियंत्रण में भी मदद मिलती है, क्योंकि बहुवर्षीय खरपतवारों के बीज एवं जड़ें उखड़ कर धूप से नष्ट हो जाती है।
राम बहादुर/मोहित