गरीबों के वरदान है मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना

श्रावस्ती जिले में योजना के न्तर्गत 1494 गरीब लड़कियों की हुई शादी

शादी कार्यक्रमां पर सरकार द्वारा खर्च किए गए छह करोड़ 63 लाख रुपए

संवाददाता

श्रावस्ती। भारतीय समाज में चाहे गरीब हो या अमीर, पुत्री की शादी करना बड़ा महत्वपूर्ण कार्य माना गया है। नारी सशक्तीकरण के वर्तमान युग में भी समाज में काफी ऐसे लोग हैं जो अपनी गरीबी के कारण पुत्री की शादी में धनराशि व्यय करने में अस्मर्थ होते हैं। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ऐसे गरीबों की पुत्रियों के हाथ पीले करने के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना लागू की है। इस योजना के अन्तर्गत लाभ लेने के लिए जरूरी है कि लाभार्थी की वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम हो और वह उत्तर प्रदेश का निवासी हो। सामूहिक विवाह योजना के अन्तर्गत गरीब व कमजोर वर्ग परिवार की पुत्री, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा महिला के विवाह कराये जाते हैं। इस विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह के लिए कम से कम 10 जोड़ों को सम्मिलित किया जाता है।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजनान्तर्गत समस्त निकायां (अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत/विकास खण्डों/नगर पंचायत/नगर पालिका) को आवेदन पत्र उपलब्ध कराना होता है जिसमें मूल निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज का फोटो लगाना होता है। इस विवाह का पूरा खर्च सरकार उठाती है। एक जोड़े के विवाह पर 51 हजार रुपए सरकार द्वारा दिया जाता है, जिसमें दाम्पत्य जीवन में खुशहाली एवं गृहस्थी की स्थापना हेतु कन्या के खाते में 35 हजार रुपए की धनराशि दी जाती है। विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री यथा कपड़े, बिछिया, पायल, बर्तन आदि क्रय करने के लिए 10 हजार रुपये तथा प्रत्येक जोड़े के विवाह आयोजन पर खर्च के लिए छह हजार रुपए व्यय किये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अन्तर्गत पात्र लाभार्थियों को पुत्री की शादी में कोई धनराशि व्यय नहीं करना पड़ता। प्रदेश सरकार पूरे विवाह का व्यय वहन करती है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का आयोजन सम्बंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है। इस योजना का लाभ सभी वर्गों के गरीब पात्र परिवारों द्वारा लिया जा रहा है। वर्तमान सरकार की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना सभी वर्गों की पुत्रियों के विवाह हेतु कल्याणकारी साबित हुई है। प्रदेश सरकार का ध्येय है कि गरीब लोग पुत्रियों को बोझ न समझें। उन्हें अच्छी शिक्षा दें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। पुत्रियों को समाज में अच्छा संस्कार और सम्मान दिया जाय जिससे उनका अच्छी तरह शारीरिक एवं मानसिक विकास हो। अच्छी शिक्षा व संस्कार से पुत्रियां समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। पुत्रियों के जन्म से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य सहित उनके विवाह तक का व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाता है। वर्तमान सरकार ने प्रदेश में योजना के लागू होने से अब तक एक लाख से अधिक जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया है। प्रदेश के सभी पात्र परिवार इस कल्याणकारी योजना का लाभ उठाते हुए सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद में वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक कुल 1494 बेटियों का विवाह मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अन्तर्गत कराया गया है जिस पर सरकार द्वारा रूपया 6 करोड 62 लाख 90 हजार रूपयें शादी का खर्चा खुद वहन करके बेटियों का हाथ पीला किया गया। यह योजना गरीब असहाय एवं निराश्रित व्यक्तियों के बेटियों के विवाह के लिए वरदान साबित हो रही है।

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