खेल दिवस पर दद्दा की धरती से उनके लिए दो शब्द नहीं बोले पीएम: पूर्व केन्द्रीय मंत्री
झांसी। हाॅकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद एक ऐसा नाम जिसके नाम से जर्मनी का तानाशाह शासक हिटलर भी झुक गया था। वह भी दद्दा का सम्मान करता था। ऐसे महापुरुष के लिए उनकी ही सरजमीं पर खेल दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो शब्द भी नहीं बोले।
यह बात उन्हें और बुन्देलखण्ड की वीरभूमि समेत पूरे देश को निराश कर रही है। यह कहना है पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप जैन आदित्य का। उन्होंने इसे देश की बिडम्बना बताया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज मुझे बहुत ही निराशा हुई है। आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डा. मनमोहन सरकार के नेतृत्व वाले केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय का उद्घाटन तो किया लेकिन मेरे तीन दिन पूर्व पत्र देने के बाबजूद आज खेल दिवस होने के बाबजूद भी हाॅकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद के लिए दो शब्द तक नहीं बोले। जब मोदी जी सत्ता में नहीं थे, तब भाजपा के तमाम सांसदों ने दद्दा को भारत रत्न दिलाने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे और मांग की थी। लेकिन आज जब मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तब भारत रत्न तो दूर की बात उनके लिए दो शब्द सुनने के लिए झांसी समेत बुन्देलखण्ड व पूरा देश तरस गया। जिन्होंने हाॅकी की साधना से हिटलर को भी अपने कदमों में झुकाया उनके लिए दो शब्द नहीं निकले। हमें शर्म आती है ऐसी सोच पर जब वोटों की बात होती है कि तब खेल की बात होती है। जब किसी से कुछ हासिल करने की बात होती है तो प्रधानमंत्री जी उस रंग में रंग जाते हैं।
केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के बाॅयलाॅज में यह दर्ज था कि इस विश्वविद्यालय से बुन्देलखण्ड के किसानों और यहां के निवासियों को इसका लाभ मिले। लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। ललितपुर के अन्दर झलकारीबाई नाम से काॅलेज बनना था नहीं बना।
भाजपा पर आरोप, इस विश्वविद्यालय को भी किसी धन्नासेठ के हाथों बेच देंगे
जिस कछुए की गति से विकास कार्य चल रहा है उससे नहीं लगता कि विकास हो सकेगा और यह विश्वविद्यालय भी वह अपने किसी उद्योगपति भाई को दे देंगे। जिस तरह उन्होंने ट्रेनें बेची, प्लेटफाॅर्म बेचे, एयरपोर्ट बेचे, बैंके बेचे और शिक्षा के निजीकरण का भी मसौदा तैयार कर रहे हैं, मुझे लगता है कि अन्नदाता किसानों का यह विश्वविद्यालय भी किसी धन्नासेठ तक जा पहुंचेगा और इसी तरह इसे भी बेच देंगे।
उन्होंने कहा कि लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे शरीर की अन्तिम खून की बूंद तक हम अन्नदाता किसानों के लिए जिनके लिए हमने पांच साल तक मेहनत करके स्वीकृति दिलवाई थी। शरद पवार जी से हमने इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास कराया था। इसे हम अन्नदाताओं के हाथ से नहीं जाने देंगे।