कोरोना काल में भी लक्ष्मी गणेश की मूर्ति के बिक्री की व्यापारियों को आस

मीरजापुर । दीपावली के अवसर पर देश के विभिन्न प्रदेशों में बिक्री की जाने वाली चुनार की निर्मित लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की दुकानें इन दिनों नगर में सजने लगी है। नगर के अधिकांश लोगों की आजीविका का मुख्य साधन मूर्ति कारोबार है। 

 इस व्यवसाय से जुड़े अधिकांश लोग मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को पारिश्रमिक देकर मूर्ति बनवाने का काम करते हैं। वर्ष में दस माह तक कड़ी मेहनत कर प्लास्टर आफ पेरिस से लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को तैयार कर घरों में इकट्ठा कर उसे सुरक्षित रखते हैं। 
 दीपावली से दो माह पूर्व अपने घरों के बाहर चबूतरे पर तो कुछ लोग सड़क की पटरी पर एक बड़ी मंडी के रूप में मूर्ति की दुकानों को लगाकर थोक मूल्य पर उसकी बिक्री करते हैं। दुकान सजने के बाद प्रदेश समेत छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से व्यापारी आते हैं और थोक मूल्य पर मूर्ति की खरीददारी कर उसे अपने यहां निजी संसाधनों व ट्रेन आदि से ले जाते हैं और खुदरा मूल्य पर बिक्री कर अच्छी खासी कमाई करते हैं। दो माह तक लगने वाले मूर्ति की दुकानों से जहां एक ओर स्थानीय कारोबारियों को होने वाले लाभ से एक वर्ष तक उनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा व परिवारजनों का भरण पोषण होता है वहीं बेरोजगारों को भी इस दौरान दो माह के लिए रोजगार मुहैया हो जाता है।
  इस बार भी दुकानें सज गयी है लेकिन वैश्विक महामारी के चलते ट्रेनों का परिचालन ठप होने से व्यापारियों का आना पहले से कम है। हालांकि अभी भी स्थानीय कारोबारियों को व्यापारियों के आने की उम्मीद है और वह अपनी अपनी दुकानों को सजाकर बैठे हैं। बहरहाल कुछ इक्का दुक्का व्यापारियों का आना जाना शुरू है। 

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