कैसे मिलती थी विकास को जमानत या पैरोल, इसकी भी होगी जांच
प्रादेशिक डेस्क
लखनऊ। विकास दुबे एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान इस मामले की जांच के लिए गठित समिति का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि विकास दुबे एनकाउंटर पर जांच समिति एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर दे और महीने के भीतर जांच पूरी करे। राज्य सरकार ने मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि जांच समिति उन परिस्थितियों की भी जांच करेगी, जिसके तहत 65 मामलों में दुबे को जमानत या पैरोल दी गई।
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जांच समिति के संदर्भ की शर्तें पढ़ीं। शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दुबे और उनके पांच कथित सहयोगियों की मुठभेड़ों में मारे जाने की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है। कुछ याचिकाओं में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की भी जांच की मांग की है, जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा शामिल हैं, जो कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई को विकास दुबे को पकडने के लिए गए थे और शहीद हो गए। पुलिस ने कहा था कि दुबे 10 जुलाई की सुबह एक मुठभेड़ में मारा गया, जब उन्हें उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था। गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और उसने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उसे मार गिराया।