कैलाश सत्यार्थी पर हमले के आरोपी परिवीक्षा पर रिहा
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की एक अदालत ने नोबेल पुरस्कार विजेता व बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी पर करीब 20 साल पूर्व हुए हमले के मामले में दो अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए एक वर्ष के सदाचरण की परिवीक्षा पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने हमले में चोटिल व्यक्तियों को 20 हजार रुपए प्रतिकर के रूप में देने का भी आदेश दिया। जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) अवनीश धर द्विवेदी ने आज यहां बताया कि जिले के कर्नलगंज कस्बे में संचालित ग्रेट रोमन सर्कस के मालिक रजा मोहम्मद खान व प्रबंधक शफी खान उर्फ शरीफुद्दीन के विरुद्ध स्थानीय थाने पर बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी, उनके पुत्र भुवन व सहयोगी रमाकांत राय, राकेश सिंह आदि पर जानलेवा हमला किए जाने को लेकर भादवि की धारा 147, 148, 325, 323, 504, 506, 352, 427 तथा 3/5 बंधुआ मजदूरी अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज कराया गया था। सर्कस के प्रबंधन पर आरोप था कि उन्होंने कैलाश सत्यार्थी व उनके सहयोगियों पर 15 जून 2004 को उस समय हमला किया था, जब उन्होंने स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ सर्कस में काम करने वाली 11 नेपाली तथा सुदूरवर्ती पूर्वोत्तर राज्यों की निवासी नाबालिग लड़कियों को छुड़ाने के उद्देश्य से कस्बे के रामलीला मैदान में चल रहे सर्कस पर छापेमारी की थी। स्थानीय पुलिस ने विवेचना के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया। सत्र परीक्षण के दौरान पंचम अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (गैंगेस्टर कोर्ट) राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन करते हुए अभियोजन व बचाव पक्ष के गवाहों तथा अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के उपरांत दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया। सजा पर बहस करते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष दलील दिया कि अभियुक्त गण अब बुजुर्ग हो चुके हैं। उनका सर्कस भी काफी पहले बंद हो चुका है। इससे पूर्व इनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं था। इसलिए इन्हें नेकचलनी पर रिहा कर दिया जाए। इस पर न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को एक वर्ष के सदाचरण की परिवीक्षा पर इस शर्त के अधीन अवमुक्त किए जाने का निर्देश दिया कि वे इस अवधि के दौरान अच्छा आचरण बनाए रखेंगे। अन्य कोई अपराध कारित नहीं करेंगे। साथ ही प्रत्येक चोटिल को पांच-पांच हजार रुपए (कुल 20 हजार) की धनराशि प्रतिपूर्ति के रूप में प्रदान करेंगे। बताते चलें कि उस समय यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में था। आरोप था कि कैलाश सत्यार्थी व उनके सहयोगियों को पुलिस बल की मौजूदगी में सरिया और डंडों से दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया था। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो शेर को छोड़ने के लिए पिंजरा तक खोल दिया गया था, किन्तु मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने उसे किसी तरह बंद कर दिया। इस दौरान बाल श्रम करने वाली नेपाल, दार्जिलिंग व अन्य स्थानों से भगाकर लाई गई 11 किशोरियों को मुक्त कराया गया था।