किन्नर के प्रति संवेदन शील बने समाज : शकीला

झांसी (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जन संचार एवं पत्रकारिता संस्थान तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस के संयुक्त तत्वावधान में यहां गांधी सभागार में लैंगिक संवेदनशीलता पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें ट्रांसजेंडर पर्संस एक्टीविटी 2019 और सन 2020 के नियमों पर विस्तार से चर्चा हुई। वक्ताओं ने युवाओं का आह्वान किया कि वे किन्नर समाज के लोगों को उनके हक हुकूक के बारे में जागरूक करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने कहा कि ट्रांसजेंडर के प्रति दुर्भावना मानवता पर कलंक है। उन्होंने हिंदी नाटक असुर पराजय का उदाहरण देते हुए बताया कैसे किन्नर समाज की रचना की गई। समय के साथ चीजें बदलती गईं। उन्होंने अर्जुन के वृहन्नला रूप ग्रहण और उसके महत्व का भी उल्लेख किया। बाद में किन्नरों की दशा बिगड़ती गई। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति सिर्फ परिवार में ही मिलती है। पर सोच संकुचित होने के कारण समाज में संकट गहरा रहे हैं। मानवीय मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। उन्होंने सभी से अपने मन में वसुधैव कुटुंबकम् का भाव जगाने का आह्वान किया। उन्होंने द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की रचना ”यदि होता किन्नर नरेश” भी सुनाई।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि यूपीआरटीओयू के क्षेत्रीय केंद्र की निदेशक डा रेखा त्रिपाठी ने कहा कि सभी युवाओं को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें समाज में व्याप्त विसंगतियों को दूर करना है। हमें ट्रांसजेंडर समाज के लोगों के साथ सम्मान का व्यवहार रखना चाहिए। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने हर ट्रांसजेंडर को मुफ्त शिक्षा देने की व्यवस्था की है। अगर ऐसे लोग संपर्क में आएं तो उनकी मदद करें। सभी शपथ लें कि किन्नरों को उनके हक हुकूक के बारे में जागरूक करेंगे। उनकी हरसंभव मदद करेंगे।

समाज कार्य संस्थान के डा मुहम्मद नईम ने कहा कि ट्रांसजेंडर की स्थितियों को सुधारने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इग्नू ने ट्रांसजेंडर की मुफ्त शिक्षा की खातिर उचित व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि किन्नर समाज के संवेदीकरण के लिए बड़ी संजीदगी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने महेंद्र भीष्म की पुस्तक में पायल हूं कि भी उल्लेख किया। उन्होंने किन्नर समुदाय के सशक्तिकरण के सभी से जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया। किन्नर समाज के लोगों के लिए शेल्टर होम बनाने का भी प्रस्ताव है। उन्होंने चिंताभरे लहजे में कहा कि अभी किन्नर समाज के अधिकांश लोग सरकारी योजनाओं से अछूते हैं। जहां भी किन्नर समाज के लोग मिलें उनका सम्मान करें।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मोंठ नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीदी शकीला ने कहा कि मैं 40 साल से मोंठ में हूं। मैं गरीबों,मजलूमों और कमजोर लोगों की सेवा में लगी रहती हूं। मैंने स्कूल भी खोला था। लोगों ने प्यार और स्नेह देकर मोंठ नगर पंचायत का चेयरमैन बनाया। उन्होंने कहा कि रोज हर तरह के लोग भी मिलते हैं। अधिकतर प्यार देते हैं। हर वर्ग और समाज के लोग मुझे चाहते हैं। उन्होंने सभी के सुखद भविष्य की कामना की। एक सवाल पर बताया कि जब जन्म लिया तो मां बाप ने असलियत छिपाई। बाद में किन्नरों के संपर्क में आए। परिवार छूटने पर बहुत धक्के खाए। मोंठ में गुरु इमरतीबाई से ही भेंट हुई। पैसा है, सोना है, चांदी है पर परिवार नहीं। ये सब किस काम के। सबको देती भी रहती हूं। सोच रही कि समाज का कल्याण हो। बताया कि हिंदू समाज में जन्मी। बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। हज भी कर आई हूं। निरंतर समाज सेवा में लगी हूं।

महेश

error: Content is protected !!