कानपुर विकास भवन की सीढ़ियों पर रेंगती दिव्यांग ज्योति गिहार का कौन लेगा सुधि

कानपुर (हि.स.)। विकास भवन कानपुर की सीढ़ियों पर रेंगती दिव्यांग महिला ज्योति गिहार का कोई हाल जानने वाला नहीं है। हालांकि योगी सरकार लगातार दिव्यांगों को लेकर अति गंभीर है। दिव्यांगों के लिए अलग से आवास योजना भी शुरू की है। लेकिन पति की मौत के बाद से पूरी तरह से बेसहारा बन चुकी मासूम बेटे को लेकर सरकारी लाभ के लिए दर-दर भटक रही है, लेकिन उनकी सुधि लेना वाला नहीं है।

कानपुर के बिधनू ब्लाक के उदयपुर गांव निवासी ज्योति गिहार पत्नी स्वर्गीय पंकज गिहार दोनों पैर से दिव्यांग है, उसके पास एक बेटा है। पति की लगभग दो वर्ष पूर्व बीमारी की वजह से मौत हो गई। गरीब और अशिक्षित परिवार से होने की वजह से कोई सरकारी सुविधा अब तक नहीं मिल सकी। ज्योति गिहार का कहना है कि उसके वृद्ध हो चुके पिता ही उसे कहीं लेकर जा सकते हैं। हालांकि उसके बेटे की देखरेख उसकी बहन करती है।

अब तक नहीं है उसके पास विकलांगता का प्रमाण पत्र

ज्योति गिहार ने बताया कि हमें कोई सरकारी लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। उसे न तो कोई विकलांग पेंशन मिलती है और न ही उसे विधवा पेंशन ही मिलती है। उसका कहना है कि मैंने पेंशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन उसमें भी कुछ नहीं हो सका। गांव का प्रधान भी अब तक उसका कोई मदद नहीं किया।

वह कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी कार्यालय में आवास के लिए मिलने गई थी तो उसे जिलाधिकारी ने लिखित आदेश करते हुए विकास भवन स्थित डूडा कार्यालय भेज दिया। जहां वह बुधवार को मिलने गई थी। जहां से उसे वापस भेज दिया गया और बोला गया कि उसे ग्रामीण क्षेत्र के परियोजना अधिकारी से मिलना है। वह कानपुर विकास भवन की सीढ़ियों पर किसी तरह घसीटते हुए परियोजना अधिकारी के पास पहुंची तो वह नहीं मिल सके। ज्योति गिहार ने बताया कि मुझे चुनाव बाद फिर से बुलाया गया है।

राम बहादुर/राजेश तिवारी

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