कानपुर में धनुष यज्ञ करवाकर राजा हिंदू सिंह ने डाली थी रामलीला की परंपरा

– 247 वर्ष पूर्व हुआ था मंचन, हिंदूपुर के नाम से जाना जाता था कानपुर

कानपुर (हि.स.)। औद्योगिक नगरी के रुप में कानपुर का नाम देश और विदेश में विख्यात है, लेकिन सनातन धर्म में भी कानपुर की ऐतिहासिकता है। यह अलग बात जिस समय की ऐतिहासिकता है उस समय कानपुर हिंदूपुर के नाम से जाना जाता था। यहीं पर ही बिठूर में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की और पुरुषोत्तम राम के बेटे लव कुश का लालन-पालन भी हुआ। रामायण का मंचन भी यहीं पर सबसे पहले राजा हिंदू सिंह ने 247 वर्ष पूर्व जाजमऊ में कराया था। इसके बाद शिवली और परेड में ऐतिहासिक रामलीला का मंचन शुरु हुआ और कानपुर में रामलीला की परंपरा चल पड़ी।

कोरोना काल के बाद कानपुर की ऐतिहासिक रामलीला कमेटी इस वर्ष भव्य रामलीला का आयोजन करने जा रही है। ऐसे में कानपुर में रामलीला की शुरुआत कब हुई, यह जानना भी दिलचस्प होगा। यहां पर सबसे पहले जाजमऊ में सचेंडी के राजा हिंदू सिंह ने धनुष यज्ञ रामलीला कराई थी। इस बात का जिक्र सर्वेश कुमार की पुस्तक कानपुर की ऐतिहासिक रामलीलाएं में हैं। यह पुस्तक में पूरा शोध लेखन कानपुर की ऐतिहासिक रामलीलाओं से जुड़ा हुआ है। पुस्तक के अनुसार राजा हिंदू सिंह द्वारा कराये गये धनुष यज्ञ रामलीला के बाद कानपुर में रामलीला का मंचन शुरु हो गया। रामलीला के प्रदर्शन व प्रचार में यहां के विभिन्न नाटककारों, धर्म प्रचारकों और साहित्यकारों का भी योगदान रहा। महाराज प्रयाग नारायण तिवारी, गुरुप्रसाद शुक्ल, प्रताप नारायण मिश्र, रायदेवी प्रसाद पूर्ण और आचार्य पंडित गोरेलाल त्रिपाठी ने रामलीला मंचन को वृहद रूप दिया।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले शिवली में शुरु हुई रामलीला

राजा हिंदू सिंह द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ रामलीला के बाद कानपुर में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले 1849 में शिवली के रामशाला मंदिर में रामलीला की शुरुआत हुई। यह भी दावा किया जाता है कि रामचरित मानस के आधार पर रामलीला का मंचन पहली बार यहीं पर हुआ। इसका आयोजन चौबे सधारीलाल की देखरेख में पं. चंद्रबली त्रिपाठी और गंगासेवक बाजपेयी ने किया। इसी तरह तीसरी प्रसिद्ध रामलीला सरसौल क्षेत्र की पाल्हेपुर की रामलीला बनी। इस रामलीला की शुरुआत झंडागीत के रचनाकार पद्मश्री श्यामलाल गुप्त पार्षद और संस्थापक स्वामी गोविंदाचार्य महाराज ने की। इसकी स्थापना 1861 में हुई। यहां प्रतिवर्ष 20 दिवसीय रामलीला का आयोजन होता है।

दशकों पुरानी है परेड की रामलीला

परेड रामलीला वर्तमान में कानपुर सबसे बड़ी ऐतिहासिक रामलीला कमेटी है। यहां पर आयोजित हो रहे रामलीला का मंचन छोटे स्तर पर पहले अनवरगंज में होता था। जिसे बाद परेड में बड़ा नाम दिया गया है और अनवरगंज की रामलीला को परेड में समाहित कर दिया गया। राय बहादुर विशम्भरनाथ अग्रवाल, बाबू विक्रमाजीत सिंह आदि सहयोगियों के साथ सन् 1876 में परेड रामलीला सोसाइटी गठित कर इसका मंचन परेड के मैदान में शुरू कराया।

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