कहानीकार जीतेश ने सुनाई दादी-नानी की कहानी

लखनऊ (हि.स.)। लोक संस्कृति शोध संस्थान की मासिक श्रंखला दादी-नानी की कहानी-जीतेश की ज़ुबानी कार्यक्रम के तहत कहानीकार जीतेश श्रीवास्तव ने बच्चों को अपनी स्थिति में ख़ुश रहने की सीख दी। रविवार को जानकीपुरम के नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति की बाल सभा में विभिन्न आयु वर्ग के बहुत से बच्चे कहानी सुनने एकत्र हुए।

कार्यक्रम का शुभारम्भ बच्चों से परिचय और झिझक तोड़ने के क्रम में बातें और टंग ट्विस्टर आदि खेल से हुई। इसके बाद कौआ, हंस, तोता और मोर की कहानी सुनाई गई। इसमें कौआ दुखी है कि वह काला है और एक ही रंग का है जबकि हंस सफेद है। किन्तु हंस भी दुखी है कि तोता के दो रंग हैं। तोता मोर को अधिक ख़ुश समझता है कि वह नाच सकता है और कई रंग का है। किन्तु मोर भी दुखी है कि खूबसूरती के कारण वह चिड़ियाघर में कैद है। इससे सीख मिली कि हर पक्षी या व्यक्ति की अपनी विशेषता है और वह दूसरों से तुलना न करे तो हर हाल में ख़ुश रह सकता है।

बच्चों ने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने, अपनी स्थिति में ख़ुश रहने व अपने लक्ष्य को डायरी में लिख कर याद रखने तथा उसके लिए निरन्तर प्रयास का संकल्प लिया।

इस अवसर पर लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, नीलम वर्मा, डाॅ. एस.के. गोपाल, राज नारायण वर्मा और माधुरी आदि उपस्थित रहे।

बृजनन्दन/दिलीप

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