कम ऊंचाई पर आकाश-एनजी मिसाइल का टेस्ट करके भारत ने दिखाई ताकत
– मिसाइल ने उड़ान परीक्षण में सभी उद्देश्यों को पूरा करके बनाया लक्ष्य को निशाना
– डीआरडीओ के आरएफ सीकर ने लक्ष्य के नष्ट होने तक लगातार मार्गदर्शन किया
नई दिल्ली(हि.स.)। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार को नई पीढ़ी की आकाश-एनजी मिसाइल का उड़ान परीक्षण सुबह 10:30 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज चांदीपुर से किया। मिसाइल को बहुत कम ऊंचाई पर एक उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए दागा गया। उड़ान परीक्षण के दौरान हथियार प्रणाली ने लक्ष्य को सफलतापूर्वक रोककर उसे नष्ट कर दिया। आकाश-एनजी सतह से हवा में मार करने वाली पुरानी आकाश मिसाइलों का उन्नत संस्करण है।
सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ ने कहा कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया। कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम का प्रदर्शन, ऑनबोर्ड एवियोनिक्स और मिसाइल के वायुगतिकीय विन्यास को सफलतापूर्वक सत्यापित किया गया। डीआरडीओ ने इसी साल 21 जुलाई को बिना रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर के आकाश-एनजी मिसाइल का कामयाब परीक्षण किया था, लेकिन दो दिन बाद 23 जुलाई को ओडिशा के तट पर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किये गए परीक्षण में स्वदेशी रूप से विकसित आरएफ सीकर लगाया गया था। आरएफ सीकर ने आकाश-एनजी को उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्य पर सफलतापूर्वक लॉक करने में मदद की और लक्ष्य के नष्ट होने तक लगातार उसका मार्गदर्शन किया। इसे पहली बार पिछले साल गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को लॉन्च किया गया था।
आकाश मिसाइल की अगली पीढ़ी आकाश-एनजी की मारक क्षमता 40-50 किमी. तक है। 96 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है, जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है। इस मिसाइल का उपयोग भारतीय वायुसेना उच्च पैंतरेबाज़ी वाले हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से करती है। आकाश-एनजी में दुश्मन को जवाब देने के लिए बेहतर टाइमिंग और हमलों के खिलाफ उच्च स्तर की सुरक्षा करने की क्षमता होगी। इसकी मौजूदा मारक क्षमता 40 किमी. से बढ़ाकर 80 किमी से अधिक करने के लिए सॉलिड रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया गया है।
सुनीत/पवन