ऑनलाइन शिक्षण में 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो फीस, सरकार जारी करे गाइडलाइन-अखिलेश

लखनऊ (हि.स.)। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष  अखिलेश यादव ने कोरोना संक्रमण काल में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने भाजपा को उसके चुनावी वादे की भी याद दिलाई है। इसके साथ ही ऑनलाइन शिक्षण के दौरान फीस 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। सरकार को इसे लेकर गाइडलाइन जारी करनी चाहिए।
उन्होंने बुधवार को अपने बयान में कहा कि चुनाव रैली के लिए लाखों एलईडी टीवी लगवाकर अरबों का प्रचार फण्ड खर्च करने वाली भाजपा सरकार के पास क्या शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था करने का फण्ड नहीं है?भाजपा सरकार ईमानदारी से पीएम केयर्स फण्ड को जनता का फण्ड बनाए और देश के भविष्य की चिंता करे।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते दौर में शिक्षा की निरंतरता के लिए स्कूल-काॅलेज खोलना सुरक्षित विकल्प नहीं है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह गरीब परिवार के प्रति विद्यार्थी को एक स्मार्टफोन, नेटवर्क और बिजली उपलब्ध कराएं साथ ही टीचरों को भी घरों पर डिजिटल अध्यापन के लिए निःशुल्क हार्डवेयर दे।
उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार ने दूरदर्शिता में प्रदेश के मेधावी छात्रों को लैपटॉप दिए थे, जो आज ऑनलाइन शिक्षण में काम आ रहे हैं। भाजपा सरकार ने तो अपने 2017 के चुनाव घोषणापत्र में युवाओं को लैपटॉप देने का वादा किया था। उसने यह भी कहा था कि काॅलेजों में दाखिला लेने पर प्रदेश के सभी युवाओं को बिना जाति-धर्म के भेदभाव के मुफ्त लैपटॉप दिया जाएगा। काॅलेज में दाखिला लेने वाले युवाओं को स्वामी विवेकानन्द युवा इण्टरनेट योजना के अंतर्गत प्रतिमाह एक जीबी इंटरनेट मुफ्त दिया जाएगा। सभी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में मुफ्त वाईफाई देने का वादा भी उनके कथित लोककल्याण संकल्पपत्र 2017 में किया गया था। 
सपा अध्यक्ष ने कहा कि ये वादे भाजपा के दूसरे वादों की तरह बस उनके संकल्प पत्र में ही लिखे रह गए। सच तो यह है कि ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था भी भाजपा सरकार की भटकाऊ नीति का ही एक अंग है। गांवों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को बिजली की किल्लत रहती है, नेटवर्क काम नहीं करता है, गरीब घरों में लैपटॉप, स्मार्टफोन नहीं है। लाॅकडाउन में रोटी-रोजगार की भी परेशानी बढ़ी है। जिसके दो या तीन बच्चे पढ़ने वाले हैं वे हरेक के लिए कहां से फोन, लैपटॉप की व्यवस्था कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत में इन दिनों अभिभावकों के सामने एक और विकट समस्या स्कूल-काॅलेजों की फीस भरने की है। ऑनलाइन शिक्षण में 80 प्रतिशत प्रयास तो अभिभावकों को करने पड़ते हैं। इस हिसाब से स्कूल फीस 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लेकिन, स्कूल-काॅलेज अभी पूरी फीस वसूलना चाहते हैं। भाजपा सरकार को इस सम्बंध में गाइडलाइन जारी करना चाहिए।
अखिलेश ने कहा कि कैसी विसंगति है कि ऑनलाइन के फैशन में बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं की जा रही है कि फोन, लैपटॉप और टीवी के सामने घंटों बैठने की आदत से बच्चों की आंखों की रोशनी पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा? अब तो कक्षा एक तक से इसकी आदत डालने का खेल चल रहा है। 

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