उप्र: नई आबकारी नीति में फ्रूट आधारित वाइन उद्योग को बढ़ावा, रोजगार के नए अवसर होंगे सृजित

लखनऊ (हि.स.)। प्रदेश में हाल ही में पारित नई आबकारी नीति में पांच साल के लिए उत्पाद शुल्क में छूट देकर स्थानीय रूप से उत्पादित फलों से बनी शराब के उत्पादन की सम्भावना को बढ़ावा दिया गया है। यह नई नीति फलों से बने कम अल्कोहल वाले पेय का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। बिक्री की अनुमति साइडर (4 प्रतिशत अल्कोहाल) के उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है। अमरूद, आंवला, बेल से बना साइडर उत्कृष्ट गुणवत्ता का पाया गया है। उत्तर प्रदेश में साइडर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में दोनों फलों का पर्याप्त उत्पादन है।

फलों से वाइन और साइडर के लिए कई प्रौद्योगिकी विकसित केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने फलों से वाइन और साइडर के लिए कई प्रौद्योगिकी विकसित की है। आम, बेल, जामुन से बनी फ्रूट वाइन गुणवत्ता में उत्कृष्ट पाई गई है, जबकि अमरूद, आंवला और बेल से निर्मित साइडर उपयुक्त पाये गये हैं। साइडर के वैश्विक बाजार में सेब के साइडर का वर्चस्व है और इसकी भारी मांग है। अमरूद और आंवला साइडर भी कुछ ऐसे उत्पाद हैं जो अब प्रदेश में उत्पादित किए जा सकते हैं और यह नीति में किए गए संशोधन से पहले संभव नहीं था। कई उद्यमी जो संस्थान की साइडर और वाइन तकनीक में रुचि रखते थे, पिछली आबकारी नीति के कारण आगे नहीं बढ़ सके। हालांकि, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के उद्यमी अपनी राज्य नीति के कारण आम से शराब उत्पादन की तकनीक प्राप्त कर सके।
कई फसलों का उपयोग करके वैकल्पिक फ्रूट वाइन उत्पादन संभवमहाराष्ट्र ने पहले ही अंगूर वाइन पर आबकारी शुल्क में छूट दे दी थी। भारत में अंगूर वाइन उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण फल है और महाराष्ट्र एवं कर्नाटक अंगूर वाइन के प्रमुख उत्पादक हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश में अंगूर उत्पादन के तहत लगभग नगण्य क्षेत्र है, इसलिए आम, अमरूद, जामुन, बेल, आंवला, शहतूत जैसी फसलों का उपयोग करके वैकल्पिक फ्रूट वाइन उत्पादन संभव है। उत्तर प्रदेश प्रमुख फल उत्पादक राज्यों में से एक है और उद्योग के लिए कच्चा माल राज्य में पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। इस उद्योग को विभिन्न फलों के लिए महत्वपूर्ण उत्पादन क्षेत्रों में विकसित किया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ने की सम्भावना है।
घरेलू स्तर पर तैयार की जाती रही है फ्रूट वाइन 
फ्रूट वाइन को हजारों वर्षों से घरेलू स्तर पर तैयार किया जा रहा है और अच्छी मात्रा में किण्विन योग्य शर्करा से भरपूर  फलों को उत्कृष्ट फल वाइन में बदला जा सकता है। आम, बेल, जामुन जैसे फल अपने स्वाद, शर्करा और टैनिन का एक अच्छा संतुलन होने के कारण उपयुक्त फल हैं। हृदय रोगों की रोकथाम के लिए फ्रूट वाइन के बढ़ते उपयोग के साथ, कई प्रसिद्ध बायोएक्टिव यौगिकों में समृद्ध होने के कारण फ्रूट वाइन का अपना महत्व है। फलों को विभिन्न स्वादों, सुगंधों और रंगों के कारण विभिन्न प्रकार की मदिराओं में बदला जा सकता है। भारत में, फल वाइन उद्योग शैशवावस्था में है और धीरे-धीरे विकसित होगा। इस प्रकार यह न केवल स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के उत्पादन में सहायक है बल्कि वाइन उद्योग के कई मूल्यवर्धित उत्पाद भी बनाना सम्भव होगा।
 Submitted By: Sanjay Singh Fartyal Edited By: Deepak Yadav

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