इस गांव में नहीं किया जाता रावण का पुतला दहन

हमीरपुर (हि.स.)। भारत में रावण का पुतला जलाकर विजयदशमी पर्व की धूम हर जगह मचेगी लेकिन उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां इस दिन रावण का पुतला दहन नहीं किए जाने की परम्परा है। यह परम्परा आज भी कायम है। इसके उलट इस गांव में दशहरे के दिन रावण की प्रतिमा की पूजा की जाती है।

जिले के मुस्करा ब्लाक क्षेत्र के बिहुंनी कला गांव में विजयदशमी के पर्व पर ग्रामीण रावण की पूजा करते हैं। हजारों की आबादी वाले इस गांव में रावण की विशालकाय प्रतिमा भी स्थापित है। दशहरा पर्व को लेकर यहां रावण की प्रतिमा को रंग रोगन कर पूजा करते आ रहे हैं। गांव के सरपंच प्रतिनिधि उपेन्द्र कुमार ने बताया कि गांव में विजयदशमी पर्व पर यहां रावण की पूजा की धूम मची हुई है। गांव के लोग बड़े ही श्रद्धाभाव से रावण की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ग्राम प्रधान संगठन के प्रमुख नेता हर स्वरूप व्यास ने बताया कि हमीरपुर जिले का बिहुंनीकला इकलौता ऐसा गांव है जहां दशहरे पर्व की धूम नहीं रहती है। पूरा गांव एकजुट होकर रावण की प्रतिमा के सामने माथा टेकता है। विजयदशमी के दिन रावण की प्रतिमा का भव्य श्रंगार भी लोग करते हैं।

गांव में स्थापित है 10 फीट ऊंची रावण की प्रतिमा

ग्रामीणों ने बताया कि बिहुंनीकला गांव में दस फीट ऊंची और बीस हाथ वाले रावण की प्रतिमा स्थापित है। रावण की प्रतिमा के मुकुट में घोड़े जैसी आकृति भी बनी हुई है। इसके बीस हाथ हैं। रावण की मुख्य सिर के अलावा नौ सिर भी प्रतिमा में लगे हैं। प्रतिमा भी बैठने की मुद्रा में है। पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि रावण बड़ा ही धर्मशाशास्त्री था। उसका अपमान नहीं होना चाहिए। इसीलिए इस गांव में रावण का पुतला दहन नहीं किये जाने की परम्परा कायम है। उल्लेखनीय है कि गांव का एक मुहाल रावण पटी के नाम से आज भी बसा है।

दशहरे के दिन शृंगार कर सजाई गई रावण की प्रतिमा

ग्राम प्रधान संगठन के प्रमुख नेता हर स्वरूप व्यास ने बताया कि पूरे देश में विजयदशमी पर्व के दिन रावण के पुतले फूंकने की परम्परा कायम है। शहर से लेकर कस्बे और ग्रामीण इलाकों में विजयदशमी की धूम मचती है। रामलीला में श्रीराम रावण के बीच युद्ध होता है। रावण वध के बाद हर जगह दशहरे की रौनक बढ़ जाती है लेकिन हमीरपुर जिले में बिहुंनीकला गांव में इस त्योहार की कोई रंगत नहीं रहती है। यहां रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है। बताया कि रावण की बड़ी प्रतिमा को रंग रोगन कर सजाया गया है।

रावण की प्रतिमा पर श्रद्धा से चढ़ाते हैं नारियल

विजयदशमी पर असत्य के प्रतीक रावण के पुतले का दहन कर लोग इस पर्व को बड़े ही खुशी के माहौल में मनाए जाने की परम्परा बुन्देलखंड में आज भी कायम है लेकिन हमीरपुर के बिहुंनीकला गांव में इसके विपरीत ही परम्परा कायम है। राम का अभिनय करने वाले राजेश का कहना है कि इस गांव में जनवरी माह में रामलीला तो होती है लेकिन रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है। यह परम्परा बहुत ही पुरानी है जिसका आज भी निर्वहन इस गांव में होता है। पूरे गांव के लोग रावण की प्रतिमा पर नारियल चढ़ाते हैं।

पंकज/दिलीप

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