आम आदमी के घरों में जमा है 25 हजार टन सोना
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को आकर्षक बनाने की तैयारी में सरकार
बिजनेस डेस्क
नई दिल्ली। सरकार स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमस) को और आकर्षक बनाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार को जो सुझाव मिले हैं, उसमें मौजूदा जीएमस में ग्राहक को घर में रखे सोने पर ब्याज कमाने के मौके के अलावा लचीलेपन नियम बनाने की तैयारी है। इसके तहत निवेशकों को ट्रेडिंग की सुविधा देने की बात कही गई है। साथ ही इस स्कीम में मौजूदा निवेश की सीमा 30 ग्राम के बजाय घटाकर 10 ग्राम तक करने को कहा गया है। इस पहल के जरिये सरकार की तैयारी घरों में पड़े सोने का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की है। एक अनुमान के मुताबिक आम आदमी के घरों में 25 हजार टन सोना जमा है।
दूसरी तिमाही में देश में सोने का आयात 95 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 11.6 टन रह गया, जो 2019 की समान अवधि में 247.4 टन रहा था। इस अवधि में देश में सोने की रीसाइक्लिंग (पुनः चक्रीकरण) भी 64 प्रतिशत घटकर 13.8 टन रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 37.9 टन थी। पिछले साल दिसंबर से सोने का आयात लगातार घट रहा है। मार्च में सोने का आयात 62.6 प्रतिशत, अप्रैल में 99.93 प्रतिशत, मई में 98.4 प्रतिशत और जून में 77.5 प्रतिशत घटा था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोने का आयातक है। यहां मुख्य रूप से आभूषण उद्योग के लिए सोने का आयात किया जाता है। भारत सालाना 800 से 900 टन सोने का आयात करता है। ऐसे में उद्योग जगत इस कमी को घरों में रखे सोने से भरपाई करना चाहते हैं। स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का मुख्य उद्देश्य न केवल मौजूदा योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाना है, बल्कि इस योजना के दायरे को घरों में रखे सोने को उत्पादक उपयोग में लाकर इसे व्यापक बनाना है। लॉन्ग टर्म लक्ष्य घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए सोने के आयात पर निर्भरता को कम करना है। जमाकर्ता बार, सिक्के, ज्वेलरी के रूप में सोना जमा कर सकते हैं। जीएमएस के तहत जमा केंद्र की ओर से बैंकों द्वारा आयोजित किया जाता है, जो ब्याज दर भी तय करता है। नई योजना में संशोधित जीडीएस (गोल्ड डिपॉजिट स्कीम) और संशोधित जीएमएल (गोल्ड मेटल लोन) योजना शामिल है।