आपदाकाल में जनधन के अलावा पशुधन को भी संरक्षण दे रहे मुख्यमंत्री योगी

-बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत कार्य जारी
-370 बाढ़ शरणालय और 784 बाढ़ चौकियां स्थापित


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आपदाकाल में जनधन के साथ पशुधन को भी संरक्षण दे रहे हैं। दोनों के लिए उनकी संवेदनायें और समर्पण एक जैसा है। ‘कर्मयोगी’ की तरह उनका सेवा भाव इन दिनों राज्य के बाढ़ प्रभावित जनपदों में स्पष्ट रूप दिखाई दे रहा है। 
राज्य सरकार एक ओर बाढ़ से प्रभावित लोगों को सुरक्षा, राहत, चिकित्सकीय सहायता और आर्थिक सहयोग प्राथमिकता पर उपलब्ध करा रही है। वहीं दूसरी ओर बाढ़ से प्रभावित पशुधन की सुरक्षा और राहत का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। 
योगी के निर्देश पर राज्य सरकार सभी तटबंधों की सुरक्षा का निरन्तर अनुश्रवण कर रही है। पीड़ितों को खाद्यान्न सामग्री और चिकित्सकीय सहायता प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जा रही है। बाढ़ प्रभावित 19 जनपदों में अब तक 1,51,505 खाद्यान्न किट वितरित की गई हैं। चिकित्सकीय सहायता के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की 318 मेडिकल टीमें तैनात हैं। 
मुख्यमंत्री ने बाढ़ शरणालयों में रह रहे बुजुर्गों, गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन सहित आवश्यक सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्होंने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों को प्राथमिकता पर त्वरित राहत उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। आपदा से होने वाली मृत्यु की दशा में पीड़ित परिवार को 24 घण्टे में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं।
सर्च एवं रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं पीएसी तैनात
बाढ़ आपदा में सभी को सुरक्षा देने के लिए 373 बाढ़ शरणालय तथा 784 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,79,588 मीटर तिरपाल जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया गया है। बाढ़ प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 29 टीमें तैनात की गई हैं। इनमें एनडीआरएफ की 12 तथा एसडीआरएफ व पीएसी की 17 टीमें तैनात हैं। इसके अलावा 1,173 नावें भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगाई गई हैं। 
पशुओं के टीकाकरण और भूसे के वितरण का प्रबंध
प्रदेश के ‘जनधन’ के साथ ही ‘पशुधन‘ की सुरक्षा के लिए भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित जनपदों में विशेष प्रबंध किए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 465 पशु शिविर स्थापित कर 6,94,107 पशुओं का टीकाकरण कराया गया है। साथ ही अब तक 4,590 कुंतल से अधिक भूसा वितरित कराया गया है। सरकार ने जनपद एवं राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की है। बाढ़ या अन्य आपदा में सहायता के लिए राज्य स्तरीय कंट्रोल हेल्प लाइन नं.1070 की स्थापना की गई है।
प्रदेश के 19 जनपदों में राहत कार्य जारी
वर्तमान में प्रदेश के 19 जनपद बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें अम्बेडकर नगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, फर्रूखाबाद, गोण्डा, गोरखपुर, कासगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, पीलीभीत, संतकबीरनगर तथा सीतापुर के 922 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। शारदा नदी, पलिया कला (लखीमपुर खीरी), सरयू (घाघरा) नदी एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी), (अयोध्या) तथा तुर्तीपार (बलिया) में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। इन सभी जनपदों में युद्धस्तर पर राहत कार्य जारी है। 
खाद्यान्न किट में दी जा रही 17 सामग्री
बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट में 17 प्रकार की सामग्री दी जा रही है। इस किट में 10-10 किलो आटा, चावल और आलू के साथ 05 किलो लाई, 02-02 किलो भूना चना और अरहर की दाल तथा 500 ग्राम नमक, 250 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम मिर्च, 250 ग्राम धनिया, 05 लीटर  केरोसिन, 01 पैकेट मोमबत्ती, 01 पैकेट माचिस, 10 पैकेट बिस्कुट, 01 लीटर रिफाइन्ड तेल, 100 टेबलेट क्लोरीन एवं 02 नहाने के साबुन दिये जा रहे हैं। 

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