अल नीनो की वजह से देश में सामान्य से कम बारिश की संभावना
कानपुर(हि.स.)। अल नीनो की वजह से भारत में इस वर्ष सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। यह मौसम विभाग का पूर्वानुमान है। यह जानकारी मंगलवार देर रात कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस.एन. सुनील पांडेय ने दी।
डॉ. पांडेय ने अल नीनो प्रभाव के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इसके कारण 2023 में साउथ-वेस्ट मानसून का लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) 94 प्रतिशत पर रहने के साथ ‘औसत से नीचे’ रह सकता है। जून 2023 से सितंबर तक चार महीने की औसत वर्षा 868.8 मिमी की तुलना में 816.5 मिमी यानी कि 94 प्रतिशत की संभावना है। यह पूर्वानुमान बड़े पैमाने पर ठेके, देश के एग्रीकल्चर सेक्टर, रूरल इकोनॉमी और पूरे आर्थिक हेल्थ के लिए खतरे की घंटी है। हालांकि सभी अल नीनो वर्षों में सामान्य से कम बारिश नहीं होती है। एग्री सेक्टर क्षेत्र का प्रदर्शन मानसून की बारिश की समयबद्धता, प्रसार और वितरण पर भी निर्भर करता है। कम बारिश लेकिन अच्छी तरह से वितरित और समय पर होना कृषि उत्पादन के लिए उतना बुरा नहीं है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई एवं अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान कम बारिश का अंदेशा जताया है। इसी तरह उत्तर भारत के कृषि क्षेत्रों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मौसम के दूसरे भाग में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। प्रमुख महासागरीय और वायुमंडलीय न्यूट्रल ईएसओ के अनुरूप हैं। अल नीनो की संभावना बढ़ रही है और मानसून के दौरान इसके एक प्रमुख श्रेणी बनने की संभावना बढ़ रही है। अल नीनो की वापसी एक कमजोर मानसून की भविष्यवाणी कर सकती है। अल नीनो के अलावा, अन्य कारक भी हैं जो मानसून को प्रभावित करते हैं।
इंडियन ओशन डाइपोल (आईओडी) में मानसून को नियंत्रित करने और पर्याप्त रूप से मजबूत होने पर अल नीनो के दुष्प्रभावों को नकारने की क्षमता है। आईओडी अब तटस्थ है और मानसून की शुरुआत में मध्यम सकारात्मक होने की ओर झुक रहा है। अल नीनो और आईओडी के ‘चरण से बाहर’ होने की संभावना है और मासिक वर्षा वितरण में अत्यधिक परिवर्तनशीलता हो सकती है। सीजन का दूसरा भाग अधिक सामान्य होने की उम्मीद है।
राम बहादुर