अयोध्या आने वाले श्रद्धालु गोंडा में करेंगे सैर

ईको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित होगा टिकरी जंगल व पार्वती अरगा पक्षी विहार

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने विश्व पर्यटन दिवस पर किया योजना की प्रगति की समीक्षा

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री व स्थानीय सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि जिले के टिकरी जंगल और पार्वती अरगा पक्षी विहार को अब ईको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जाएगा। अयोध्या धाम से निकट होने के कारण यह परियोजना धार्मिक यात्रियों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण बनेगी, जहां वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा के साथ प्रकृति का भी आनंद ले सकेंगे। वह शुक्रवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर टिकरी वन रेंज के पार्वती अरगा पक्षी विहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ थीम पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्य मंत्री ने कहा कि यह स्थल रामसर प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जहां साइबेरियन पक्षियों को शरण मिलती है। केंद्र और प्रदेश की सरकार इसे ईको पर्यटन की तर्ज पर विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। इसके विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जल्द ही इसके लिए जरूरी बजट आबंटित कर दिया जाएगा। राज्य मंत्री ने मौसम परिवर्तन पर चिंता जताते हुए कहा कि जब तक हमारा पर्यावरण और जलवायु ठीक नहीं होंगे, तब तक मौसम में बदलाव के नकारात्मक परिणामों से बचा नहीं जा सकेगा। झीलों की सुरक्षा से पानी का जल स्तर भी सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि सभी को इसकी अहमियत समझ में आए। इस अवसर पर उन्होंने वेटलैंड्स, अमृत धरोहर और वेटलैंड्स के जीव-जंतुओं पर आधारित प्रदर्शनी तथा ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत मातृ वन का उद्घाटन किया।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से आए वेटलैंड मित्रों के साथ पर्यवरण व जलवायु परिवर्तन पर चर्चा किया। उनकी कहानियां सुनीं और अनुभव साझा किए। पार्वती अरगा झील के चारां ओर कृषि भूमि है। परिणाम स्वरूप किसानों द्वारा अपने खेतों में कीटनाशकों एवं हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह रसायन जल के साथ घुलकर झील में पहुंचकर पानी की गुणवत्ता प्रभावित करते हैं। इसलिए आसपास के किसानों को जैविक खाद का प्रयोग एवं कार्बनिक खेती को प्रोत्साहित किए जाने के लिए लोगों में प्रचार-प्रसार करने को कहा। साथ ही झील के जल गुणवत्ता की नियमित जांच एवं मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कर डाटा संधान करने का निर्देश दिया। उन्होंने यहां पाए जाने वाले समस्त वन्य प्राणियों, पक्षियों, कीटों की प्रजातीय विविधता का विस्तृत अध्ययन करने को भी कहा। साथ ही खर पतवार उन्मूलन के लिए कार्बनिक पद्धति का उपयोग करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वैच्छिक वेटलैंड मित्रों का चयन कर उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। पर्यावरण एवं जल के महत्व को बताने के लिए गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, स्कूली छात्र-छात्राओं के मध्य चित्रकला एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि का आयोजन कर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाएं। वेटलैंड के किनारे एवं आसपास खाली पड़े क्षेत्रों में पंचिंग ट्री, बर्ड नेस्टिंग ट्री एवं फलदार वृक्षों का रोपण करने का निर्देश दिया।
राज्य मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए शपथ दिलाई। उन्होंने पार्वती अरगा आर्द्रभूमि के संरक्षण, विवेकपूर्ण उपयोग तथा अरगा झील को सरयू नहर से लिंक किये जाने के प्रगति की समीक्षा की। इससे पूर्व उन्होंने पौधरोपण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिव नीरज कुमार, देवीपाटन मण्डल के वन संरक्षक मनोज कुमार सोनकर, जिलाधिकारी नेहा शर्मा, प्रभागीय वनाधिकारी पंकज शुक्ल, सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग बलरामपुर के डीएफओ, भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारतीय प्राणि सर्वेक्षण संस्थान, भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, विश्व प्रकृति निधि, प्राकृतिक चेतना केंद्र के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न हितधारक उपस्थित रहे।

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