अमेरिका को दहलाने वाले दुर्दांत अपराधी थिओडोर जॉन कजिंस्की की जेल में मौत

वाशिंगटन (हि.स.)। यूनाबॉम्बर के नाम से कुख्यात थिओडोर जॉन कजिंस्की की 10 जून को स्थानीय जेल में मौत हो गई। 81 वर्षीय कजिंस्की तेज दिमाग के साथ शातिर अपराधी था। अमेरिका में दहशत का पर्याय रहे कजिंस्की के ऊपर तीन लोगों की हत्या का आरोप था। इस दुर्दांत अपराधी ने वर्ष 1978 से 1995 के बीच 17 बार बम विस्फोट किए थे।

दुनिया की मशहूर यूनिवर्सिटी हॉर्वर्ड से पढ़ाई करने वाले कजिंस्की ने महज 16 साल की ही उम्र में स्कॉलरशिप हासिल कर ली थी। गणित में अव्वल रहने वाला कजिंस्की किन कारणों से अपराध के दलदल में फंसा, यह सवाल उसकी मौत के साथ दफन हो गया।

बर्कले के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में गणित के सहायक प्रोफेसर के रूप में नौकरी पाने से पहले कजिंस्की ने 1967 में मिशिगन विश्वविद्यालय में गणित से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 1971 में वह मोंटाना चला गया। इसी साल सर्दियों में 1,000 से कम लोगों के शहर लिंकन के पास एक टार-पेपर केबिन बनाया। इसी केबिन में उसने बम बनाए। वह इन बमों का इस्तेमाल कुछ इस तरह से करता था कि उसके पीछे सुराग की बहुत कम संभावना होती थी। वह इतना शातिर दिमाग था कि अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई को भी पकड़ने में लगभग दो दशक लग गए।

इस अपराधी ने1995 में एफबीआई को अपना 35,000 शब्दों का मेनिफेस्टो इंस्ट्रियल सोसायटी ऐंड इट्स फ्यूचर प्रकाशित करने के लिए भेजा था। उसने धमकी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसे एजेंसी कभी नहीं पकड़ पाएगी। मजबूरन जांच एजेंसी को उसकी बात माननी पड़ी। इसके कुछ समय बाद 1996 में उसे जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। तब से वह जेल में कैद था।

मुकुंद

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