अक्‍टूबर में फिर कहर ढा सकता है कोरोना, बच्‍चों के लिए विशेष खतरा

नई दिल्‍ली। नीति आयोग ने हाल ही में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने को लेकर चेतावनी जारी की है। इसी के साथ ही अब गृह मंत्रालय के निर्देशन में गठित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ डिजास्‍टर मैनेजमेंट (एनआईडीएम) के विशेषज्ञों की कमेटी ने भी बेहद चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। उनके अनुसार अक्‍टूबर में देश में कोरोना वायरस संक्रमण चरम पर होगा। तब ही कोरोना की तीसरी लहर संभव है। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों पर अधिक खतरा होने वाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बच्‍चे बड़ी संख्‍या में कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित होते हैं तो उनके लिए बाल चिकित्‍सा सेवाएं जैसे डॉक्‍टर, मेडिकल स्‍टाफ, वेंटिलेटर और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं नहीं हैं। इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय में भेज दिया गया है। इसी के साथ ही नीति आयोग के सदस्‍य वीके पॉल की प्रमुखता वाले समूह ने पिछले महीने सरकार को सुझाव दिए थे कि अगर भविष्‍य में कोविड 19 के मामले बढ़ते हैं तो प्रति 100 मामलों में 23 मामलों में अस्‍पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी।
यह अनुमान सितंबर 2020 में दूसरी लहर से पहले समूह द्वारा दिए गए अनुमान से अधिक है, जब इसने गणना की थी कि गंभीर या मध्यम गंभीर लक्षणों वाले लगभग 20 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद बड़ी संख्या में अस्पताल के बेड को अलग स्‍तर से निर्धारित करने की सिफारिश इस साल अप्रैल-जून में देखे गए पैटर्न पर आधारित है। अपने चरम के दौरान 1 जून को जब देश भर में सक्रिय केस लोड 18 लाख था तब 21.74 फीसदी केस में अधिकतम मामलों वाले 10 राज्यों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी थी। इनमें से 2.2 फीसदी लोग आईसीयू में भर्ती थे। नीति आयोग का कहना है कि और भी बदतर हालात के लिए हम लोगों को तैयार रहना चाहिए। आयोग ने एक दिन में 4 से 5 लाख कोरोना केस का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही कहा है कि अगले महीने तक दो लाख आईसीयू बेड तैयार किए जाने चाहिए। इनमें वेंटिलेटर के साथ 1.2 लाख आईसीयू बेड, 7 लाख बिना आईसीयू अस्पताल के बेड (इनमें से 5 लाख ऑक्सीजन वाले बेड) और 10 लाख कोविड आइसोलेशन केयर बेड होने चाहिए।

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