अंतरिक्ष में कामयाबी के बढ़ते कदम

प्रभुनाथ शुक्ल

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत बड़ी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। अंतरिक्ष की दुनिया में सबसे कम खर्च में हमारे वैज्ञानिकों ने बुलंदी का झंडा गाड़ा है। हम चांद को जीतने निकल पड़े हैं। कभी हम साइकिल पर मिसाइल रखकर लांचिंग पैड तक जाते थे, लेकिन आज हमारे पास अत्याधुनिक तकनीकी उपलब्ध है, जिसका लोहा अमेरिका और दुनिया के तकनीकी एवं साधन संपन्न देश मानते हैं। इसरो ने 14 जुलाई को श्रीहरि कोटा से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान -3 का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण कर दिया। यान पृथ्वी की कक्षा में स्थापित भी हो गया है।

चंद्रमा कभी हमारे लिए किस्से कहानियों में होता था। दादी और नानी कि कहानियों में उसके बारे में जानकारी मिलती थी। लेकिन आज वैज्ञानिक शोध और तकनीकी विकास की वजह से हम चांद को जीतने में लगे हैं। चंद्रलोक के बारे में वैज्ञानिक जमीनी पड़ताल कर रहे हैं। चंद्रलोक की बहुत सारी जानकारी हमारे पास उपलब्ध है। दुनिया के लिए चांद अब रहस्य नहीं है। अब वहां मानव जीवन बसाने के लिए भी रिसर्च किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक शोध से यह साबित हो गया है कि चांद पर जीवन बसाना आसान है। सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो मिशन चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी में जुटा है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार यह मिशन पूरी तरह चंद्रयान- 2 की तरह ही होगा। अभियान पर करीब 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। यह 50 दिन बाद लैंड करेगा। इस यान में भी एक आर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। यह चंद्रयान -2 के मुकाबले इसका लैंडर 250 किलोग्राम अधिक वजनी होगा और 40 गुना अधिक स्थान का घेराव करेगा। यान की गति प्रतिघंटा 37 हजार किलोमीटर वैज्ञानिकों ने उस तकनीकी गड़बड़ी को दूर कर लिया है जिसकी वजह से चंद्रयान-2 सफलता के करीब पहुंचने के बाद भी फेल हो गया था। इस बार अंतरिक्ष संगठन की पूरी कोशिश है कि यह पूरी तरह सफल हो। 23 अगस्त तक सब ठीक रहा तो चंद्रतल पर इसे सुरक्षित स्थापित किया जाएगा। इस मिशन का यह सबसे चुनौतीपूर्ण मसला है।

चंद्रयान-2 मिशन पर 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। 50 दिन से कम समय में 30844 लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय की थी। लेकिन अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के भरपूर प्रयास के बावजूद भी मिशन फेल हो गया था।चंद्रमा की कक्षा में सफल लैंडिंग के पूर्व रूस, अमेरिका भी कई बार विफल हो चुका था। लेकिन चीन अकेला ऐसा देश था जिसने इस मिशन को पहली बार में ही सफलता हासिल कर लिया था।

भारत चार साल बाद पुन: अधूरे मिशन को कामयाब करने में जुटा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाएगी। यह अभियान अंतरिक्ष के युग में एक बड़ी कामयाबी साबित होगा। इसरो के इस अभियान पर दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हैं। अमेरिका, जैसे देश के अलावा चीन इस पर विशेष रूप से नजर गड़ाए है। भारत की सफलता अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जहां इन देशों के लिए चुनौती साबित होगी। वहीं अभी तक अंतरिक्ष में अपना आधिपत्य समझने वाले हमारी ताकत को समझने लगेंगे। इससे बड़ी उपलब्धि हमारे लिए और क्या हो सकती है।

दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने सफल प्रक्षेपण की बधाई दिया है। यूरोपीयन स्पेस एजेंसी, इंग्लैंड और फ्रांस ने भी सफल प्रक्षेपण की भारतीय वैज्ञानिकों की पीठ थपथपाई है। भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान ने भी चंद्रयान -3 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को शुभकामनाएं दी हैं। यह अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का परिणाम है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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