Saturday, June 14, 2025
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भारत बंद : उप्र में किसानों से ज्यादा सियासी दल दिखे सक्रिय

-प्रदेश में बंद रहा बेअसर, सपा और कांग्रेस के कई नेता दिन भर रहे नजरबंद

लखनऊ (हि.स.)। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा हाल में पारित किये गये तीन कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को किसानों द्वारा आहूत भारत बंद का असर उत्तर प्रदेश बिल्कुल निष्प्रभावी रहा। सड़कों पर गाड़ियां दिन भर फर्राटे भरती दिखीं। प्रदेश भर में प्रमुख बाजार और बैंक खुले रहे। पुलिस की मुस्तैदी के चलते देर शाम तक कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आयी। 
यद्यपि बंदी की घोषणा किसानों ने की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों में किसान कम सियासी दल के लोग प्रदेश भर में अधिक सक्रिय दिखे। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) के पांच विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) ने धरना दिया तो प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं ने कुछ समय के लिए एक ट्रेन को रोके रखा। बाद में पुलिस ने उन्हें खदेड़कर ट्रेन को रवाना किया। इसी तरह मेरठ में सड़क पर जाम लगा रहे कुछ नेताओं और किसानों ने तहसीलदार की गाड़ी को वापस भेज दिया। 
हालांकि पुलिस ने पहले ही सपा और कांग्रेस के कई नेताओं को उनके आवासों पर ही नजरबंद कर दिया था। वरिष्ठ सपा नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को उनके बाराबंकी स्थित आवास पर ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। आजमगढ़ में वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व मंत्री बलराम यादव, दुर्गा यादव व विधायक संग्राम यादव नजरबन्द किए गए थे। इसके अलावा राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर व वाराणसी समेत अन्य जनपदों में भी जिला प्रशासन ने तमाम नेताओं को घर में ही रहने की बात कही। 
उधर बस्ती में बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे प्रदेश के पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी और पूर्व विधायक जितेन्द्र चौधरी समेत सपा के कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मथुरा में कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप माथुर को हिरासत में लिया गया। रायबरेली में कांग्रेस महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष, शैलजा सिंह समेत कई कांग्रेसी नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
दरअसल किसान संगठनों ने भारत बंद की घोषणा दिन में 11 बजे से तीन बजे तक के लिये किया था। सपा और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों द्वारा बंद को समर्थन देने के बाद राज्य सरकार पहले से ही सचेत थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि जोर जबरदस्ती से कहीं भी दुकानें आदि बंद न कराई जाएं। 
उधर, कानपुर में किसान आंदोलन के समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा भारत बंद का दांव उनके लिए ही उल्टा पड़ गया। प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर कानपुरवासी भारत बंदी के पक्ष में नहीं बल्कि देश हित में उठाए जा रहे किसान बिल के साथ खड़े दिखे और बाजार खुले रहे।
मथुरा में पुलिस की सख्ती के चलते राजनीति दलों के नेता सड़कों पर नहीं दिखे। कुछ नेताओं को पुलिस ने सोमवार की रात को ही घर पर नजरबंद कर दिया। मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक प्रदीप माथुर जैसे ही किसानों के भारत बंद के समर्थन में होली गेट पहुंचे। वहां मौजूद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। युवा कांग्रेस नेता यतेंद्र मुकदम और राष्ट्रीय लोक दल के वरिष्ठ नेता कुंवर नरेंद्र सिंह को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस दौरान राष्ट्रीय लोक दल के वरिष्ठ नेता कुंवर नरेंद्र और पुलिस के बीच कहासुनी भी हुई लेकिन पुलिस ने उन्हें धारा 144 का हवाला देते हुए हिरासत में लेकर कोतवाली ले गई। होली गेट पहुंचे किसान मजदूर नेता तारा चंद गोस्वामी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

चंदौली में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे पार्टी कार्यकर्ताओं से पुलिस कर्मियों के बीच नोकझोंक और धक्का-मुक्की होती रही। किसानों के समर्थन में कार्यकर्ताओें ​के साथ प्रदर्शन के लिए निकल रहे पूर्व सांसद रामकिशुन यादव को पुलिस ने उनके घर के पास ही रोक दिया। 
उधर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारत बंद बेअसर रहा। बाजार और गली-मोहल्ले की दुकानें प्र​तिदिन की भांति खुली रहीं। इस दौरान बंदी के नाम पर अराजकता फैलाने वालों से निपटने के लिए जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा का व्यापक इंतजाम रहा। बंदी को शहर के व्यापारी संगठनों ने भी समर्थन नहीं दिया। जबकि जिले में किसानों के भारत बंद के समर्थन में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता मुखर रहे।
 मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद पुलिस सोमवार रात से ही सतर्क थी। नतीजा यह रहा कि समाजवादी पार्टी और अन्य दलों के कार्यकर्ता कहीं-कहीं सड़कों पर दिखे लेकिन वे जोर जबरदस्ती से कहीं भी बंदी नहीं करा सके। राजधानी लखनऊ सहित अन्य जिलों में स्थिति सामान्य रही। 
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भारत बंद को उप्र में बेअसर बताया। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने मिलकर भी बंद का असर नहीं दिखा सके। प्रदेश की जनता ने उन्हें नकार दिया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानून किसानों के बेहतरी के लिए हैं। इससे किसानों का लाभ ही लाभ होगा। 


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