कानपुर (हि.स.)। भारतीय समुद्र में अब तक कोई प्री मानसून तूफ़ान नहीं बन सका। ऐसा न होना बीते चार वर्ष का रिकॉर्ड टूट गया। यह जानकारी बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि भारतीय समुद्र में मई और अप्रैल महीनों में सबसे ज्यादा चक्रवात बनते हैं। अप्रैल की तुलना में मई के महीने में चक्रवात बनने की संभावना अधिक होती है। लेकिन, इस साल भारतीय सागर में अब तक किसी भी तरह की चक्रवाती गतिविधि नहीं हुई है। हालांकि, मानसून का आना 1 जून को तय है।
जून में बनने वाले चक्रवातों को ‘मानसून चक्रवात’ माना जाता है। जैसा कि पिछले साल अरब सागर के ऊपर बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ के साथ हुआ था। अब प्री-मानसून सीजन के बमुश्किल दो हफ्ते बचे हैं और इस सीजन के पहले तूफान का इंतजार लंबा हो गया है।
हर साल आया सिर्फ एक तूफान
मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक तूफ़ान आते हैं। ऐसे में यह प्रवृत्ति(चलन) आने वाले सालों में बदल सकती है। क्योंकि अरब सागर बंगाल की खाड़ी की तुलना में लगातार गर्म हो रहा है। पिछले चार सालों में मई महीने के दौरान बंगाल की खाड़ी में हर साल सिर्फ एक तूफान आया है। जैसे 2020 में “अम्फान” ने पश्चिम बंगाल पर हमला किया था। 2021 में यास ने धामरा (ओडिशा) में भूस्खलन किया। 2022 में आसनी तूफान आंध्र प्रदेश तट पर समुद्र में ही कमजोर हो गया और 2023 में मोचा ने सितवे (म्यांमार) पर हमला किया। अरब सागर के ऊपर आखिरी चक्रवात 2021 में मई के महीने में ‘तौकता’ था, जो ऊना-दीव के पास गुजरात तट को पार कर रहा था।
इन 4 साल नहीं आया तूफान
डॉ.पांडेय ने बताया कि पिछले 11 सालों में 2013 से 2023 के बीच, मई के महीने में बंगाल की खाड़ी के ऊपर सात तूफान बने। उनमें से तीन ने चटगांव पर हमला किया, एक ने म्यांमार को पार किया और एक-एक पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की ओर चला गया। वहीं, इस अवधि के दौरान अरब सागर में केवल 2 तूफान आए। ‘तौकता’ तूफान ने गुजरात पर हमला किया और ‘सागर’ एक कमजोर प्रणाली के रूप में सोमालिया पर हमला करने के लिए भारतीय तट से बहुत दूर चला गया। 2014, 2015, 2018 और 2019 में प्री मानसून में भारतीय समुद्र में एक भी तूफान नहीं आया।
तूफान की नहीं बन रही स्थिति
मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक समुद्र तट के दोनों ओर अब तक कोई तूफ़ान नहीं आया है। ऐसा लगता है कि यह पिछले चार सालों की तरह ‘नो शो’ को दोहरा रहा है। इस सप्ताह के अंत तक थाईलैंड के ऊपर एक छोटा सा भंवर बन रहा है। जो 20 मई को मर्तबान की खाड़ी और अराकान तट से होते हुए उत्तरी अंडमान सागर में प्रवेश करेगा। उम्मीद है इस भंवर के असर में, उसी समय के आसपास मानसून की धारा खाड़ी द्वीप समूह और दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी पर आगे बढ़ रही है। भंवर के अराकान तट के करीब आने की संभावना है, लेकिन गहरे समुद्र के ऊपर आने की संभावना नहीं है। अगर ऐसा है, तो प्री-मॉनसून सीज़न 2024 में भारतीय सागर में चक्रवाती तूफान नहीं आ सकता है।
राम बहादुर//बृजनंदन
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