हिन्दी साहित्य-रत्न से नवाजे गए उमा शंकर शुक्ल
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी एवं हिन्दी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में समवेत हिन्दी का काव्य संग्रह ’नई सदी के स्वर’ का लोकार्पण, साहित्यकारों का सम्मान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में हिन्दी काव्य की दशा और दिशा : एक परिसंवाद विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सभागार, बीएचयू में सम्पन्न हुआ। विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी कविताम्बरा के निदेशक व वरिष्ठ साहित्यकार हीरालाल मिश्र ’मधुकर’ के भागीरथ प्रयास तथा सम्पादन मण्डल के रचनात्मक सहयोग के परिणाम स्वरूप, भारत के सबसे बड़े हिन्दी काव्य संग्रह ’नई सदी के स्वर’ भाग-तीन का लोकार्पण सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल तथा समारोह में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी द्वारा प्रकाशित यह ग्रन्थ 1292 पृष्ठों का है। इसमें भारत के सभी राज्यों सहित अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और नेपाल में हिन्दी लिखने वाले 325 साहित्यकारों की रचनाएं संग्रहीत हैं। इस प्रकाशित विशाल संग्रह में गोंडा के साहित्यकार उमाशंकर शुक्ल की ग़ज़लों को भी प्रकाशित किया गया है। लोकार्पण कार्यक्रम के पश्चात् आधुनिक परिप्रेक्ष्य में हिन्दी काव्य की दशा और दिशा विषयक परिसंवाद सम्पन्न किया गया। अकादमी के निदेशक हीरालाल मिश्र ’मधुकर’ सहित हिन्दी साहित्य के विविध पक्षों पर तथा प्रकाशित ग्रन्थ ’नई सदी के स्वर’ के संदर्भ में केशव जालान, नारायण खेमका, अपर आयुक्त (राजस्व), वाराणसी, गिरीन्द्र सिंह, डॉ वीरेन्द्र सिंह आदि मुख्य वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे। समारोह में देश के 14 प्रान्तों के कवियों सहित नेपाल के भी रचनाकार उपस्थित रहे। इस अवसर पर 151 शिक्षाविदों, सामाजिक विभूतियों व साहित्यकारों को विभिन्न साहित्यिक सम्मान प्रदान किए गए। इसी क्रम में गोण्डा के साहित्यकार उमा शंकर शुक्ल ’आलोक’ को हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी के संस्थापक निदेशक हीरालाल मिश्र ’मधुकर’, सदस्य भोलानाथ त्रिपाठी ’विह्नल’, संरक्षक केशव जालान व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप द्वारा “हिन्दी साहित्य-रत्न सम्मान“ से अलंकृत किया गया।
साहित्य भूषण से सम्मानित शिवाकांत मिश्र विद्रोही ने कहा कि विश्व हिन्दी शोध संवर्धन अकादमी व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के ख्यातिलब्ध मनीषियों द्वारा उमा शंकर शुक्ल ’आलोक’ को सम्मानित किया जाना गोंडा जनपद के लिए गर्व का विषय है। उमा शंकर शुक्ल की एक हिन्दी ग़ज़ल संग्रह ’काजल-काजल हुआ शहर’ प्रकाशित हो चुका है। वर्तमान में वह अनवरत साहित्य-साधना में निरत हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में हिन्दी खण्डकाव्य संग्रह के प्रकाशन की योजना है। उमा शंकर शुक्ल को सम्मानित किए जाने पर डा. सूर्यपाल सिंह, प्रो. शैलेंद्र मिश्र, राम जियावन शुक्ल, विजय यादव, प्रदीप चन्द्र शुक्ल, विवेक सिंह, पंकज मालवीय, मो. शहजाद, शिवा नन्दन यादव, मो. अनवारूल्ला खाँ, डा. उमा सिंह, आशीष वर्मा, रमन तिवारी, अरविन्द यादव, विश्व दीपक शुक्ला, रवि सरोज, राम सागर गिरि, नीता सिंह आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की है। जनपद गोंडा के अनेक साहित्यकारों ने भी उमा शंकर शुक्ल को बधाई दी है।