बलिदानी सैनिकों की वीरता और शौर्य का प्रतीक है राष्ट्रीय समर स्मारक

संवाददाता

श्रावस्ती। अगर आप दिल्ली जाते हैं तो देश के पर्यटक स्थल नई दिल्ली में इंडिया गेट के पूर्व में स्थित और ‘सी’ हेक्सागन के तीन उद्यानों में फैला निर्मित राष्ट्रीय समर स्मारक जो भारत माता की रक्षा करते हुए अपने को बलिदान करने वाले अमर शहीद सैनिकों की वीरता और साहस का जीता जागता प्रतीक है, को अवश्य देखें। शहीद सैनिकों के सम्मान में भारत सरकार द्वारा बनाये गये इस राष्ट्रीय समर स्मारक को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्र की ओर से सशस्त्र सेनाओं को समर्पित किया। इस स्मारक में भूदृश्यों की सुन्दरता और वास्तुविद की सादगी को महत्व देते हुए परिवेश की गरिमा को बरकरार रखा गया है। परिसर में मुख्य स्मारक के अतिरिक्त राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित शूरवीरों की आवक्ष प्रतिमाओं के लिए एक क्षेत्र भी समर्पित है। मुख्य स्मारक का डिजाइन न केवल इस तथ्य को प्रदर्शित करता है कि देश की रक्षा करते हुए कर्तव्य निर्वहन के दौरान सर्वोच्च बलिदान करने वाले सैनिक अमर हो जाते हैं बल्कि यह भी दर्शाया गया है कि एक सैनिक की आत्मा शाश्वत रहती हैं।
देश की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय सशस्त्र सेनाओं के 26 हजार से अधिक सैनिकों ने देश की सम्प्रभुता और अखण्डता की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। शहीद सैनिकों के सम्मान में बना यह राष्ट्रीय समर स्मारक सशस्त्र सेनाओं के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मारक स्वतन्त्रता के बाद विभिन्न संघर्षों, युद्धों, संयुक्त राष्ट्र आपरेशन, मानवीय सहायता, आपदा राहत और बचाव जैसे आपरेशन में देश के सैनिकों के बलिदान का साक्षी है। यह स्मारक देश के नागरिकों में अपनत्व, उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्र गौरव की भावना को सुदृढ़ करता है। भावी पीढ़ी के लिए यह स्मारक प्रेरणा का प्रतीक है। राष्ट्रीय समर स्मारक में विशिष्ट वृत्त बनाये गये हैं, जिनमें पहला अमर चक्र दीर्घा है। इस दीर्घा में अमर ज्योति के साथ स्तम्भ है, जो हमेशा जलती रहती है। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है साथ ही यह कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाएगा। दूसरी दीर्घा वीरता चक्र की है, जिसमें देश की सेनाओं द्वारा लड़ी गई 06 वीरतापूर्ण लड़ाईयों को कास्य भित्ती चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। तीसरी दीर्घा त्याग चक्र की है जिसमें वृत्ताकार समकेन्द्रीय प्रतिष्ठा दीवारें हैं जो प्राचीन युद्ध ब्यूह रचना ‘चक्रव्यूह’ का प्रतीक है। दीवारों में ग्रेनाइट की पट्टिकाएं लगी हैं और सर्वोच्च बलिदान देने वाले प्रत्येक सैनिक को एक ग्रेनाइट पट्टिका समर्पित है और उनके नाम स्वर्णाक्षरों में उत्कीर्ण किए गये हैं। चौथी दीर्घा रक्षक चक्र है। इसमें घने वृक्षों की पंक्ति है जो राष्ट्र की क्षेत्रीय अखण्डता की दिन-रात रक्षा करने वाले बहुत से सैनिकों का प्रतिनिधित्व करता है। देश के सैनिकों की वीरता, त्याग और शौर्य का प्रतीक यह राष्ट्रीय समर स्मारक आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देता रहेगा। कुछ विशेष दिवसों/समय को छोड़कर यह स्मारक पर्यटकों को देखने के लिए नवम्बर से मार्च तक प्रातः 09 बजे से शाम 7ः30 बजे तक एवं अप्रैल से अक्टूबर तक सुबह 09 बजे से शाम 08ः30 बजे तक प्रतिदिन खुला रहता है। देश के नागरिक, पर्यटक, विदेशी पर्यटक भी देश के इस भव्य और आकर्षक समर, स्मारक का अवलोकन करते हुए देश के बलिदानी सैनिकों की गाथा का ज्ञानार्जन कर रहे हैं।

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