गोरखपुर में बढ़ेगा बब्बर शेरों का कुनबा, शुक्रवार को पहुंचेंगे दो शेर

गोरखपुर (हि. स.)। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में जल्द ही अब एक नहीं बल्कि तीन बब्बर शेरों की दहाड़ सुनने को मिलेगी। गुजरात के जूनागढ़ स्थित सक्करबाग चिड़ियाघर से दो बब्बर शेर यहां आ रहे हैं। जूनागढ़ से दो बब्बर शेर इटावा लायन सफारी आ भी चुके हैं। अब इन शेरों को गोरखपुर लाने के लिए यहां से चिड़ियाघर की टीम बुधवार को इटावा लायन सफारी के लिए रवाना हो गई है।

उम्मीद है कि शुक्रवार की शाम चिड़ियाघर की टीम इटावा लायन सफारी से दो बब्बर शेरों को लेकर गोरखपुर पहुंचेगी। जिसके बाद गोरखपुर के लोग इन शेरों का दीदार कर सकेंगे। इनमें एक शेर और शेरनी गोरखपुर चिड़ियाघर लाई जा रही है।

अब अकेला नहीं रहेगा पटौदी

फिलहाल चिड़ियाघर में अभी एक ही शेर पटौदी है। बब्बर शेरनी मरियम की पिछले दिनों मौत हो गई। शेरों बाड़े में कुल चार शेर रखने की क्षमता है। गुजरात के जूनागढ़ से दो बब्बर शेरों को लाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन पिछले एक साल से पत्राचार कर रहा था। लेकिन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से हाल में ही इसकी अनुमति मिलने के बाद अब इन शेरों को गोरखपुर चिड़ियाघर लाया जा रहा है।

मौसम सही होने के बाद लाए जाएंगे शेर

गोरखपुर चिड़ियाघर के वेटनरी डॉक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया, काफी दिनों से शेरों के जोड़े को लाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन मौसम गर्म होने की वजह से चिड़ियाघर प्रशासन ने पहले इन्हें बरसात के समय जुलाई में लाने का फैसला लिया था। लेकिन, मौसम कुछ हद तक सामान्य होने के बाद अब इन शेरों को तत्काल यहां लाया जा रहा है।

वहीं, गोरखपुर चिड़ियाघर की बाघों में गीता और अमर हैं। गिर के शेरों को बारिश काफी पसंद है। यही वजह है कि गर्मी के मौसम में उनके बाड़े में बारिश की फुहारें की जाती हैं। ऐसे में उन्हें इटावा सफारी से गोरखपुर लाने में विशेष सतर्कता बरतनी होगी। शेरों को रास्ते में भरपुर खुराक के साथ ही उन्हें गर्मी से बचाने के लिए पूरे इंतजाम के साथ यहां लाए जाएंगे। ताकि, शेरों को किसी तरह की दिक्कत ना हो। इसके लिए उन्हें रास्ते में पानी की फुब्बारे भी दी जाएंगी।

चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि गुजरात के गिर जंगल शेरों के लिए पूरी दुनिया में सबसे मुफीद और सुरक्षित माने जाते हैं। इसी जंगल से पटौदी और मरियम को लाया गया था, जिनमें से शेरनी मरियम की मौत हो चुकी है। अभी पटौदी स्वस्थ है। उसे पानी में अठखेलियां करना काफी पसंद है।

वन्य जीव एवं पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय संस्था हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि गोरखपुर प्राणी उद्यान प्राणी उद्यान के निदेशक एच राजा मोहन के कार्यकाल में 02 नर एवं 02 मादा बब्बर शेर गोरखपुर प्राणी उद्यान लाए जाने के लिए पत्राचार शुरू हुआ था।

अब जबकि बब्बर शेरनी मरियम तकरीबन 20 साल की उम्र पूरी कर वन्यजीव प्रेमियों के बीच नहीं है। कम से कम दो युवा नर और मादा बब्बर शेर को लाए जाने का निर्णय स्वागत योग्य है। हमें उस दिन का इंतजार है जब गोरखपुर प्राणी उद्यान में भी बब्बर शेर प्रजनन कर गोरखपुर का मान बढ़ाएंगे।

प्रिंस पांडेय/बृजनंदन

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