UP News : छोटी दिवाली पर काशी में जगमगाते दीपकों से बिखरी इंद्रधनुषी छटा, जले यम के दीप
पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद लोग आतिशबाजी करते रहे, बाजार में रौनक, देर तक चहल-पहल
वाराणसी (हि.स.)। ज्योति पर्व के एक दिन पूर्व छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) पर शुक्रवार की शाम ही बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में जगमगाते दीपकों और रंग बिरंगी विद्युत झालरों से रौशनी की इंद्रधनुषी छटा बिखरी रही। पर्व पर लोगों ने तिथियों के फेर के बावजूद यम का दीप अपने घर और प्रतिष्ठानों के बाहर जलाया।
ज्योतिषविदों के अनुसार चतुर्दशी शाम 4.12 बजे लग गई। जो शनिवार को दिन में 1.49 बजे तक रहेगी। पर्व पर लोगों ने प्रदोष काल में तिल के तेल से भरे दीपों को यम के अतिरिक्त ब्रह्मा-विष्णु-महेश आदि के नाम से मंदिरों,मठ, बाग-बगीचों, बावली-गली इत्यादि में भी दीपदान किया।
काशी में मान्यता है कि इससे असमय मृत्यु नहीं होती। उधर,पर्व पर बहुमंजिली इमारतों से लेकर घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान रौशनी से नहाये रहे। शहर के प्रमुख बाजारों, सार्वजनिक पार्को, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू), सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर रौशनी से सराबोर दिखा।
पर्व पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति की खरीददारी
छोटी दिवाली पर भी पूजन अर्चन के लिए मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति जमकर बिकी। मूर्तियों की खरीददारी के लिए जगह-जगह सड़क पर सजे अस्थाई स्टालों पर पूरे दिन लोगों की भीड़ जमी रही। लहुराबीर, जगतगंज, चेतगंज, नई सड़क, गोदौलिया, दशाश्वमेध, जद्दूमंडी, लंका, अस्सी, लहरतारा और मंडुवाडीह,पांडेयपुर,अर्दलीबाजार आदि इलाकों में लोग पर्व पर खरीददारी करते रहे। गाय के गोबर से निर्मित गणेश लक्ष्मी व अन्य शुभ प्रतीक चिन्ह भी लोग खरीदते रहे। कोविड काल में आतिशबाजी पर रोक के बावजूद लोग पटाखे बाजी से बाज नहीं आये। छोटे-छोटे बच्चे भी पटाखों और फुलझड़ी छोड़ पर्व की खुशियां परिजनों के साथ मनाते दिखे।