Up उपचुनाव : गेटवे ऑफ बुन्देलखण्ड में 29 साल बाद टक्कर में आया पंजा

– जातीय समीकरण के साथ समाजसेवा से जुड़े उम्मीदवार ने पार्टी को दी ताकत
– मोदी और योगी के भरोसे जीत को लेकर आश्वस्त हैं भाजपा उम्मीदवारअजय सिंह/मोहित वर्मा

कानपुर (हि.स.)। गेटवे ऑफ बुन्देलखण्ड कही जाने वाली घाटमपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में वैसे तो सभी उम्मीदवार जीत का दंभ भर रहे हैं, लेकिन फिलहाल मामला त्रिकोणीय दिख रहा है। यहां पर सबसे बड़ा उलटफेर कांग्रेस के उम्मीदवार डा. कृपाशंकर संखवार की ओर से देखने को मिला। संखवार ने जातीय समीकरण के साथ समाजसेवा को आधार बनाया और 29 साल बाद यहां पर पंजे को टक्कर पर ला दिया। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस ने ही सबसे ज्यादा तीन बार जीत दर्ज की है और पिछले छह चुनावों में सम्मानजनक वोटों के साथ लगातार तीसरे नंबर पर रही है। वहीं जातिगत समीकरण के अलावा मतदाताओं से बातचीत के बाद कहा जा सकता है कि सत्ताधारी दल के उम्मीदवार उपेंद्र नाथ पासवान को कांग्रेस के डाक्टर सीधे टक्कर दे रहे हैं।
घाटमपुर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार कमल रानी वरुण ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत दर्ज कर पहली बार यहां से कमल का खाता खोला था। इसी के चलते प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री का ओहदा मिला, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते दुनिया को अलविदा कह दिया। मंत्री के निधन पर खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने कानपुर बुन्देलखण्ड के उपाध्यक्ष उपेन्द्र पासवान को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने डा. कृपाशंकर संखवार को उम्मीदवार बनाकर लड़ाई दिलचस्प कर दी। वहीं समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक इंद्रजीत कोरी पर दांव लगाया है, जबकि बसपा की तरफ से कुलदीप संखवार और, सभी जन पार्टी से अशोक पासवान, अर्जक अधिकार दल से विपिन कुमार चुनाव के मैदान में हैं। मंगलवार को दिनभर चले मतदान के बाद मतदाताओं से बातचीत का जो सार सामने आया उससे यह कहा जा सकता है कि उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार को सीधी टक्कर दे रहे हैं। हालांकि क्षेत्र में सबसे अधिक दलित मतदाताओं के भरोसे बसपा उम्मीदवार भी चुनाव को त्रिकोणीय मान रहे हैं। छह बार से तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार
घाटमपुर विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आयी और पहली बार ही जनता पार्टी ने जीत दर्ज कर ली। इसके बाद क्रमशः लगातार दो बार कांग्रेस, जनता दल, कांग्रेस, जनता दल, बसपा, सपा, बसपा, सपा और पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की। इस सीट पर अंतिम बार कांग्रेस ने 1991 में जीत दर्ज की थी और शिवनाथ सिंह कुशवाहा विधायक बने थे। इसके बाद लगातार छह बार के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार सम्मानजनक वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस उम्मीदवार की मजबूती पीछे यह है वजह
घाटमपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार बाहरी हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार डॉक्टर कृपाशंकर संखवार स्थानीय हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में एक इमानदार नेता के तौर पर उनकी पहचान है। कृपाशंकर सरकारी डॉक्टर के पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ली और पार्टी ने उन्हें टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतार दिया। सुरक्षित सीट होने के चलते कृपाशंकर को जहां अपने समाज का वोट मिल रहा है तो वहीं कुर्मी मतदाताओं की भी वह पहली पसंद बने हुए हैं। इसके पीछे कारण है कि डा. कृपाशंकर संखवार का जन्म कुर्मी परिवार में हुआ था और बाद में एक दलित परिवार ने उन्हे गोद लेकर शिक्षा-दिक्षा दिलाई। यहां पर एक जाति के रुप में जहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या निर्णायक है तो वहीं कुशवाहा मतदाता भी चुनाव में प्रभाव रखते हैं। यही नहीं जन अधिकार पार्टी के प्रमुख बाबू सिंह कुशवाहा का भी समर्थन कांग्रेस को मिला हुआ है। इसके साथ ही तीसरी प्रमखु जाति पाल है और पूर्व सांसद व क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले राजाराम पाल भी पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी निर्वहन करते दिखे। त्रिकोणीय हुआ मुकाबला
दिनभर हुए मतदान के बाद मतदाताओं से बातचीत पर अबकी बार यहां का चुनाव त्रिकोणीय दिख रहा है। सत्ताधारी भाजपा के उम्मीदवार उपेन्द्र पासवान कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के सहारे जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रहे हैं। वहीं बसपा उम्मीदवार कुलदीप संखवार भी क्षेत्र में सबसे ज्यादा दलित मतदाताओं को देखते हुए जीत का दावा ठोक रहे हैं। अब तक के जीते विधायक 1- 1977 में जनता पार्टी से रामआसरे अग्निहोत्री,2- 1980 में कांग्रेस से शिवनाथ सिंह कुशवाहा,3- 1985 में कांग्रेस से शिवनाथ सिंह कुशवाहा,4- 1989 में जनता दल से रामअसरे अग्निहोत्री,5- 1991 में कांग्रेस से शिवनाथ सिंह कुशवाहा,6- 1993 में जनता दल से राकेश सचान 7- 1996 में बसपा से राजाराम पाल 8- 2002 में सपा से राकेश सचान 9- 2007 में बसपा से राम प्रकाश कुशवाहा 10- 2012 में सपा से इंद्रजीत कुरील 11- 2017 में भाजपा से कमल रानी वरुण

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