National : वैक्सीन निर्माण का कच्चा माल उपलब्ध कराएगा अमेरिका, अन्य देशों से भी मिलने लगी सहायता

सुफल/अनूप
नई दिल्ली (हि.स.)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को रूस, सिंगापुर, सऊदी अरब और राष्ट्रमंडल देशों की ओर से ऑक्सीजन सहित विभिन्न चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति शुरू हो गई है। वहीं, अमेरिका ने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में बनाई जा रही कोविशील्ड के लिए आवश्यक कच्चा माल तत्काल उपलब्ध कराने की घोषणा की है।अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस संबंध में अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ टेलीफोन पर बातचीत कर हालात का जायजा लिया।अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अमेरिका महामारी के इस दौर में भारत के साथ खड़ा है। भारत ने महामारी के शुरुआती दौर में जिस तरह अमेरिका की मदद की थी उसी तरह अब वह भारत की मदद करने के लिए तत्पर है।बयान में कहा गया कि अमेरिका भारत को आवश्यक संसाधनों और सामग्री उपलब्ध कराने के लिए लगातार काम कर रहा है। अमेरिका ने भारत के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड वैक्सीन के लिए आवश्यक कच्चे माल के स्रोत का पता लगाया है तथा यह भारत को तत्काल उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही अमेरिका भारत को संक्रमण निदान के लिए आवश्यक सामग्री, चिकित्सा कर्मियों के लिए सुरक्षा परिधान तथा अन्य सामग्री भी तत्काल उपलब्ध कराएगा।अमेरिका ने भारत को ऑक्सीजन पैदा करने वाले उपकरण और संबंधित सामग्री की भी प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति करने पर गौर किया है। अमेरिका का विकास वित्त निगम भारत में वैक्सीन निर्माण करने वाली इकाइयों के विस्तार योजना के लिए धन मुहैया करा रहा है। इससे वर्ष 2022 के अंत तक भारत में कम से कम एक अरब वैक्सीन का निर्माण हो सकेगा। बयान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि विगत वर्षों के दौरान दोनों देशों ने चेचक, पोलियो और एचआईवी संक्रमण का मुकाबला करने के लिए सहयोग किया है।उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने वैक्सीन के निर्माण में काम आने वाले कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा रखी है। सीरम इंस्टीट्यूट के संचालक अदार पूनावाला ने अमेरिकी प्रशासन से निर्यात पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था।वहीं नई दिल्ली स्थित ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उनका देश महामारी से निपटने के लिए भारत को आवश्यक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर इस संकट को परास्त करेंगे।

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