-कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने राज्यमंत्री बलदेव औलख के साथ चार जिलों का ​किया दौरा
शारदा, सरयू, राप्ती अभी भी कुछ जगह खतरे के निशान के ऊपर

लखनऊ। प्रदेश में बाढ़ प्रभावित जनपदों की संख्या अब बढ़कर 18 हो गई है। इन में अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, मऊ, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, देवरिया, संतकबीरनगर तथा सीतापुर के 672 गांवों बाढ़ से प्रभावित है। वहीं शारदा नदी, पलिया कला लखीमपुरखीरी, सरयू नदी, तुर्तीपार बलिया राप्ती नदी बर्डघाट गोरखपुर, सरयू (घाघरा) नदी-एल्गिनब्रिज बाराबंकी और अयोध्या में अपने खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। 
प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री अनिल राजभर ने शनिवार को बाढ़ की ताजा स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि आज उन्होंने जनपद बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर एवं बाराबंकी में राज्यमंत्री जलशक्ति बलदेव औलख व अपर मुख्य सचिव, सिंचाई के साथ बाढ़ राहत कार्य, स्वास्थ्य, बचाव दल की उपलब्धता तथा बाढ़ के संबंध में समस्त तैयारियों के बारे में जिलाधिकारी तथा जनपद के अन्य अधिकारियों के साथ गहन समीक्षा की गई तथा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय भी निरीक्षण किया। 
राजभर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में विषैले सर्प कीटों का प्रकोप काफी संख्या में रहता है, जिनके काटने से काफी जनहानि व पशुहानि होती है। बाढ़ राहत शरणालयों के आस-पास की झाड़ी की सफाई की जाय और रात में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाय। जल बहाव के कटान से प्रभावित भूमि के समीप स्थित स्कूल व पंचायत भवनों में बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों हेतु शरणालय न बनाया जाय और ऐसे स्कूल व भवनों में कक्षाओं का संचालन न किया जाय। 
कैबिनेट मंत्री राजभर ने बताया कि जनपद बाराबंकी में तटबंध में चौबीस घंटे बांधों का निरीक्षण करने के निर्देश दिये गये। किसी भी क्षतिग्रस्त बंधे को तत्काल ठीक करा लिया जाए तथा बाढ़ चौकियों एवं कंट्रोल रूम को हाई अलर्ट पर रखा जाए। क्षतिग्रस्त नावों का प्रयोग ना किया जाए तथा राहत सामग्री का वितरण उपयुक्त लाभार्थियों को प्रदान किया जाए। जनपद के 110 किलोमीटर तटबन्ध की निरंतर निगरानी की जाए तथा किसी प्रकार की सीपेज या अन्य प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत मरम्मत की जाय। 
उन्होंने बताया कि जनपद लखीमपुर खीरी में कटान, संवेदनशील स्थल चिह्नित करना एवं चौबीस घंटे पेट्रोलिंग करना व निगरानी रखने के निर्देश दिये गये हैं। बाढ़, कटान से कैसे बचा जाए और उसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए, उसके अगले 45 दिन की कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि जनपद सीतापुर में संवेदनशील तटबंध पर चौबीस घंटे गश्त की जाय। नाव पर कितने लोग सवार होने चाहिए, इसके लिए एक स्पष्ट कटौती संदेश बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए। जनपद गोण्डा में प्राप्त सूचना के अनुसार अपराह्न 3ः00 बजे सकरौर भिखारीपुर तटबंध किलोमीटर 17.590 से किलोमीटर 17.780 के मध्य 60 मीटर की लम्बाई में कट गया। इस स्थल पर नदी के जलस्तर में कमी आ गयी है। रिंग बांध बनाने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि जनपद बलरामपुर के बलरामपुर-भडरिया तटबंध में राप्ती नदी के दायें तट पर स्थित ग्राम चन्दापुर के पास कटान स्थल पर बम्बूक्रेट, नायलान क्रेट में मिट्टी भरी बोरियों को रख कर कटान को नियंत्रण करने का कार्य कराये जा रहे है। 
प्रदेश के प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें तथा एसडीआरएफ व पीएसी की 07 टीमें इस प्रकार कुल 22 टीमें तैनाती की गयी है। 780 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है। बाढ़, अतिवृष्टि की आपदा से निपटने हेतु बचाव व राहत प्रबन्धन के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये जा चुके है। 
राजभर ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को खाद्यान्न किट का वितरण कराया जा रहा है। अब तक राहत सामग्री के अन्तर्गत 32,567 खाद्यान्न किट व 1,59,334 मीटर तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 253 मेडिकल टीम लगायी गयी है।
राजभर ने बताया कि बाढ़ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 236 बाढ़ शरणालय, और 04 जनपदों में 44 शरणालयों में 4,087 व्यक्ति रह रहे हैं तथा 715 बाढ़ चैकी स्थापित की गयी है। प्रदेश में 175 पशु शिविर स्थापित किये गये हैं तथा 6,08,902 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 1162 कुंतल भूसा वितरित किया गया है।

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