जानें, सांप काटने पर क्या करें, और क्या न करें

संवाददाता

बहराइच। जिला आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण द्वारा सर्पदंश के सम्बन्ध में क्या करें और क्या न करें के सम्बन्ध में एडवाईज़री जारी की गयी है। जारी किये गये सुझाव में बताया गया है कि प्रायः सॉप दो प्रकार के होते हैं, ज़हरीले व बिना ज़हरीले। वर्षा ऋतु में प्रायः देखने में आता है कि सांप अक्सर बाहर निकल आते हैं और खेतों में, पत्थरों एवं चट्टानों के बीच, कच्ची दीवारों में अथवा लकड़ियो के गट्ठर जैसी चीजों में छिपे रहते हैं। सांप कभी कभी घरो में भी आकर कोने विशेषकर अंधेरे कोने एवं सामानों इत्यादि के बीच अथवा उनकी आड़ में पीछे छिप जाते हैं। अधिकांश सांप मांसाहारी होते हैं और छोटे जीव जन्तुआें को खाते हैं। सामान्यतया यह हलचल एवं गतिविधियों वाले स्थानां से दूर रहते हैं। यदि इन्हें छेड़ा न जाए तो ये मनुष्यों को नहीं काटते हैं। मनुष्यों को यह अपने उपर खतरा देखकर ही काटते हैं। ज़हरीले सांप के काटे जाने पर ज़हर के प्रभाव से ऊतक नष्ट होते हैं, शरीर का नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है। ब्लड प्रेशर एवं हृदय पर असर तथा क्लाटिंग एवं रक्त स्राव होता है। कभी-कभी लक्षण उत्पन्न होने में 6 से 12 घंटे का समय लग सकता है। जबकि बिना ज़हर वाले सांप के काटने पर काटे गये स्थान पर थोड़ा दर्द और सूजन हो सकती है। जो सामान्यता आसानी से ठीक हो जाती है।
जहरीले सांप के काटने पर यदि सांप द्वारा ज़हर नही उगला गया है तो खतरा नहीं होता है। यदि ज़हर उगला गया है तब काटने के स्थान पर तेज दर्द, छाला पड़ना, सूजन, लालीमा, नीलापन, रक्त स्राव, काला पड़ना या सुन्न होना हो सकता है। सांप के जहर के असर से व्यक्ति के काटे वाले भाग के पूरे अंग में तेज दर्द हो सकता है कम ब्लड प्रेशर, कमज़ोर नाड़ी, बढ़ी धड़कन, उल्टी एवं जी-मिचलाना, दस्त, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, देखने में दिक्कत, हाथ पैर ठंडा होना, सुन्न पड़ना, पसीना आना इत्यादि हो सकते है। सांप के काटने पर क्या करें, और क्या न करें के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि सर्पदंश के मौसम में बाहर निकलते समय बूट, मोटे कपड़े का पैन्ट इत्यादि पहने, नशा न करें क्योकिं इससे खतरो को समझने की क्षमता कम होती है। सांप दिखने पर पास न जायें और न ही उसे मारने की कोशिश करें, बलिक उसे बचकर जाने दें। हलचल एवं कम्पन्न इत्यादि से सांप दूर भागते है।
सर्पदंश पर घबराये नहीं, आराम से लेट जायें, काटे हुए भाग को हृदय के स्तर से थोड़ा नीचे रखे, कपड़े ढीले कर दे, चूड़ी, कड़े, घड़ी, अंगूठी जैसे आभूषण निकाल दें। छोटे बच्चों, वृद्धजनों एवं अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में जहर का असर गम्भीर हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है और इनके उपचार में कदापि देरी न करें। घाव के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करे। घाव को काटने, चूसने, बर्फ लगाने, कसकर बांधने, देसी दवा अथवा केमिकल इत्यादि लगाने का कोई स्पष्ट लाभ नही होता है, अपितु घाव में नुकसान हो सकता है एवं जहर शरीर में ज्यादा तेजी से फैल सकता है। संप के काटने पर घबराने, दौड़ने-भागने इत्यादि से ज़हर तेजी से शरीर में फैलता है। सांप द्वारा काटे गये व्यक्ति को मदिरा, नशे की कोई चीज तथा कैफिनेटेड ड्रींक्स ने दें। दर्द के लिए सिर्फ पैरासिटामाल दें। झाड़-फूॅक इत्यादि से बचें। रोगी को शीघ्र से शीघ्र जिला अस्पताल/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ले जाए एवं चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार लें।

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