गोण्डा में अब तक 3,729 कुपोषित व अति कुपोषित बच्चे चिन्हित

महिलाओं, किशोरियों और बच्चों में कुपोषण की पहचान कर उन्हें सुपोषित बनाने में लगीं 2830 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

आठ से तीस सितंबर तक आयोजित राष्ट्रीय पोषण माह को जनपद में शत-प्रतिशत सफल बनाने पर जोर

जानकी शरण द्विवेदी

गोण्डा। कुपोषण को दूर कर समुदाय को सुपोषित बनाने के उद्देश्य से जिले में आठ से तीस सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया गया है। इसके अंतर्गत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा अति गंभीर कुपोषित (सैम) और आंशिक गंभीर कुपोषित (मैम) बच्चों का चिन्हांकन किया रहा है। इस काम में लगी जनपद की 2830 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अब तक कुल 3,729 कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया है। इसमें आंशिक गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2694 एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 1035 है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि इसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा बच्चो की ऊंचाई एवं वजन की माप की जाती है। इसके लिए उन्हें वजन मशीन और फ्लेक्स के रूप में एक फ़ीता दिया गया है, जिसकी सहायता से अति गंभीर कुपोषित एवं आंशिक गंभीर कुपोषित बच्चों का ऊंचाई के हिसाब से वजन माप कर चिन्हांकन किया जाता है। उन्होंने कहा कि चिन्हित बच्चो को संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर पोषण पुनर्वास केंद्र सन्दर्भित कराने के साथ ही उनके माता-पिता या अभिभावक का मनरेगा जॉब कार्ड, राशन कार्ड, शौचालय उपलब्ध कराये जाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुपोषण की दंश से समाज को मुक्ति दिलाने के लिए सराकर प्रतिबद्ध है। शासन द्वारा कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों के चिन्हीकरण और प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने हेतु पूर्व में ही यह निर्देश दिया गया है कि ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर समुदाय स्तर पर आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता और एएनएम पूरी तरह निगरानी रखें कि उनके क्षेत्र के हर कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे का चिन्हांकन निश्चित रूप से हो जाये। इसके साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम चिन्हित बच्चों को स्वास्थ्य केन्द्रों पर ले जाएँ और जरूरी हो तो उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र पर भर्ती करवाने की व्यवस्था करें।

ऐसे होती है सैम/मैम बच्चों की पहचान :

अति कुपोषित की पहचान माक-टेप्स (मिड अपर आर्म सरकमफेरेंस टेप्स) मध्य ऊपरी भुजा की नाप से होती है। यदि भुजा की माप 11.5 सेंटीमीटर से कम है, तो समझिये बच्चा अतिकुपोषित श्रेणी का है। यदि 11.5 सेंटीमीटर से 12.4 सेंटीमीटर है, तो कुपोषित की श्रेणी में माना जाएगा और 12.5 सेंटीमीटर है तो वह सामान्य श्रेणी में माना जाएगा। दोनों पैरों में गडढे़ वाली सूजन के बच्चे भी अतिकुपोषित की श्रेणी में माने जाते हैं।

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