UP News : नामचीन शायर अशोक साहिल का निधन
प्रादेशिक डेस्क
मुजफ्फर नगर। ‘अब इससे पहले कि मैं दुनिया से चला जाऊं।
मैं चाहता हूं कि नेक काम कर जाऊं।’
देश के नामचीन शायर अशोक साहिल का निधन हो गया है। वे करीब 65 वर्ष के थे। अशोक साहिल ने मेरठ के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में गंगा तट पर सोमवार दोपहर में किया गया। देश विदेश में ख्यातिप्राप्त अशोक साहिल के शेर और गजलें आम जनता से जुड़ी समस्याओं पर केंद्रित रहती थीं। इसी वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में उन्होंने अपना कलाम पेश किया था। अशोक साहिल अपने पीछे तीन पुत्रियां प्रियम, शिवानी और आकांक्षा को छोड़ गए हैं। तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी शोभा भगत की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इसके बाद अशोक साहिल टूट से गए थे। वह पिछले 2 वर्षों से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। कुछ समय से वह अपनी बेटियों के पास गाजियाबाद चले गए थे। हालांकि उनकी मौत मेरठ में निजी अस्पताल में हुई। उनके पार्थिव शरीर को मुजफ्फरनगर में शुकतीर्थ में अंतिम संस्कार के लिए लाया गया।
उनके कुछ प्रसिद्ध शेर :
उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर
तहज़ीब मेहरबां है मिरे ख़ानदान पर
दिल की बस्ती में उजाला ही उजाला होता
काश तुम ने भी किसी दर्द को पाला होता
बुलंदियों पर पहुंचना कमाल नहीं
बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है