UP News : पिता बीमार, लाचारी बेवसी व परिवार पालने के लिए ठेले पर सब्जी बेचने निकल पड़े मासूम

शाहजहांपुर (हि.स.)। कहते हैं कि मजबूरी जो न कराये सो कम है। लाचारी व बेबसी का ऐसा ही एक उदाहरण शाहजहांपुर में देखने को मिला। जिन कंधों पर स्कूल का बैग होना चाहिए था, वे अब परिवार के खर्च को संभालने की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। कलम की जगह उनके हाथों में किस्मत का तराजू है। बीमार पिता के इलाज और दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए मासूम ठेला खींच रहा है।
उत्तर प्रदेश के शहाजहांपुर जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो दिलों को झकझोर देने वाली है। यहां दो मासूम भाई लाचारी व बेबसी के कारण ठेले पर सब्जी रखकर गली-गली बेच रहे थे। ताकि दो वक्त की रोटी इंतजाम हो सके और छोटे-छोटे भाई बहनों व परिवार को भूखा न सोना पड़े। 
पिता टीबी से बीमार,आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा परिवार 
मामला शहाजहांपुर के चौक कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बिजलीपुरा का है। यहां एक 13 बर्षीय बालक अपने 8 बर्षीय भाई के साथ सब्जी के ठेले को खींचते नजर आए। सब्जी बेचने के लिए दोनों भाई अपनी मासूम निगाहों से ग्राहकों की तरफ देख रहे थे। दोनों बच्चों की लाचारी व बेबसी कुछ संवेदनशील लोगों को झकझोर गई तो उनके पास पहुंचे। स्थानीय लोगों ने बच्चों की मनोदशा को देखते हुए सब्जी खरीदी। इस बीच बेबसी का कारण पूछा तो पता चला कि उनके पिता बीमार हैं। वे ही थे, जो मजदूरी कर व सब्जी बेच कर घर का खर्च चलाते थे। लेकिन बीमारी के कारण वो महेनत वाला काम नही कर पा रहे। घर में न राशन है और न ही रुपये। ऊपर से कोई मदद भी नहीं कर रहा है। ऐसे में दोनों भाई बीमार पिता, छोटे-छोटे भाई बहनों व मां की खातिर सड़क पर निकल पड़े।
बच्चों के पिता राजेश वर्मा ने बताया कि मजदूरी कर व सब्जी बेचकर परिवार को पाल रहे थे। घर पर उनकी पत्नी, बड़ा बेटा हर्षित(13), बेटी तनु(11), प्रतीक (9), रितिक (8), शगुन (5) व सबसे छोटी बेटी नैना(3) है। करीब डेढ़ माह पूर्व उनको टीबी हो गई। जिसका सरकारी अस्पताल से इलाज चल रहा है। डाक्टरों ने मेहनत वाला काम करने से मना कर दिया। कोरोना के कारण बचा कुचा पहले ही खर्च हो चुका था। लॉक डाउन डाउन खुलने के बाद कुछ दिन काम कर सके कि बीमारी ने आकर जकड़ लिया। काम धंधा बन्द हो गया। आर्थिक रूप से और कमजोर हो गए। बड़े बेटे हर्षित ने हालातो को देखते हुये बेटे व भाई होने की जिम्मेदारी निभाने की बात कही। मजबूरी वश व परिवार की खातिर उन्हें हां करनी पड़ी। जिसके बाद हर्षित अपने छोटे भाई रितिक को साथ लेकर ठेले से सब्जी बेचने जाने लगा। राजेश ने बताया कि हर्षित देवी प्रसाद स्कूल में कक्षा सात का छात्र है। जबकि प्रतीक व रितिक घर से कुछ दूर सरकारी स्कूल में पड़ रहे है। 
टीन शेड व पन्नी की छांव में रहने को मजबूर परिवार 
वहीं राजेश के घर की हालत काफी खस्ताहाल है। दरवाजे गल कर टूट चुके है। छत के नाम पर गली हुई टीन शेड व तनी हुई पन्नी के बीच पूरा परिवार रहने को विवश है। कहने को घर पर गैस सिलेंडर है। लेकिन कभी कभी पैसे न होने पर गोबर के कंडों पर खाना बनाना पड़ता है। 
राजेश ने बताया कि सरकार से मिलने वाले आवास का लाभ भी नहीं मिला है और न ही अन्य सुबिधाएं। फिलहाल पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। सरकार से आस लगाए बैठा है किसी तरह उसकी सुनवाई हो जाये और सरकारी से मिलने वाली योजनाओं का लाभ उन्हें भी मिल सके।
समाजसेवी सलमान ने बताया कि वो काम से जा रहे थे। इस बीच सब्ची बेच रहे छोटे-छोटे बच्चों पर उनकी निगाह ठिठक गई। कम उम्र में बच्चों को ठेला खींचते देख उनसे रहा नहीं गया। जब बच्चों से कारण जाना तो पता चला कि बच्चों के पिता बीमार हैं। घर जाकर देखा तो परिवार की स्थिति दयनीय मिली। समाजसेवी ने बताया कि मौके पर परिवार के लिए जितन हो सकता था वो उन्होंने किया है। समाजसेवी ने जनप्रतिनिधियों व अन्य समाजसेवियों से परिवार की मदद की गुहार लगाई है। 

error: Content is protected !!