UP News: कवि सम्मेलन में कवियों ने पढ़ी कविताएं, श्रोताओं ने लगाये ठहाके

कानपुर (हि.स.)। जहां न जाये रवि वहां जाए कवि यह कहावत उस समय फिर चरितार्थ हुई जब कवि सम्मेलन में अपनी कविताओं के जरिये कवियों ने श्रोताओं को ठहाके लगाने को मजबूर कर दिया। वीर रस से लेकर सनातन धर्म और वर्तमान दौर में चल रहे भगवा पर कवियों ने अपनी—अपनी कविताएं पढ़ी। 
ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन में रविवार को विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर्नल एस एन पांडेय ने की और संचालन कवि संतोष दुबे ने किया। ओज की राष्ट्रीय स्वर शिखा सिंह ने रचना पढ़ते हुए कहा – हाँ मैं हिन्दू हूँ और हिंदुत्व पर अभिमान करती हूँ। अपनी दूसरी रचना में शिखा सिंह ने पढ़ा -सत्य सनातन अब भगवा सबकी रग रग में घोलेगा, धर्म रक्षकों के भुजदंडों का शोणित फिर खौलेगा। हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर माने जा रहे अमित ओमर  ने अपनी रचना पढ़कर -महफिलें ना सजे तालियों के बिना ससुराल में मजा नहीं सालियों के बिना.. श्रोताओं की तालियां जीत लीं। गीतकार धीरज सिंह चंदन ने गीत पढ़ा -शुष्क धरा सी क्यों बैठी हो यह सावन स्वीकार करो, तन मन महक उठेगा सारा यह चंदन स्वीकार करो। डॉ मनोज गुप्ता ने राम की महिमा और महत्व को अपने भावशब्द देते हुए  पढ़ा -रघुकुल रीति निभाने को त्याग दिया था अवध धाम हे राम तुम्हें शत शत प्रणाम हे राम तुम्हें शत शत प्रणाम। गीत के रचयिता संतोष दुबे ने पढ़ा -रेत मुठ्ठी में लिए चलते रहे ताउम्र हम, और ये कहते रहे फूटी हुई तकदीर है। इस अवसर पर डॉ अंगद सिंह, राममिलन सिंह, नरेन्द्र शर्मा, गणेश तिवारी, कुमकुम पांडेय, पूजा अवस्थी, फणींद्र त्रिपाठी, सविता मिश्रा, विजय तिवारी, प्रसून चौहान आदि मौजूद रहें।

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